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जाने-माने बाजार विशेषज्ञ मधुसूदन केला ने बजट पूर्व अपनी एक टिप्पणी में कहा है कि जीएसटी लागू होने के बाद केंद्रीय बजट में चौंकाने वाली बातें कम रह गयी हैं, लिहाजा इसको लेकर उत्साह भी घटा है।
फिर भी, यह सबसे महत्वपूर्ण नीतिगत घटना है। मधु केला ने कल पेश होने वाले बजट में इन बातों पर खास नजर रहने की बात कही है :
1. वित्त वर्ष 2018-19 में जीएसटी संग्रह के अनुमान क्या रहेंगे? यह आँकड़ा जितना अधिक होगा, उतना ही अच्छा होगा, मगर केंद्र के हिस्से में 55,000 करोड़ रुपये मासिक से ऊँचा कोई अनुमान रखे जाने पर उसकी विश्वसनीयता को लेकर सवाल खड़े होंगे।
2. विनिवेश के अनुमान क्या रहेंगे? सरकार ने वित्त वर्ष 2017-18 में जो सफलता हासिल की है, उसके मद्देनजर वित्त वर्ष 2018-19 में 1 लाख करोड़ रुपये की बड़ी राशि का अनुमान भी स्वीकार्य होगा।
3. ग्रामीण और बुनियादी ढाँचा क्षेत्रों के विकास पर 2018-19 में होने वाला खर्च और कुल मिला कर राजकोषीय घाटा (फिस्कल डेफिसिट)। बाजार इस बात के लिए पूरी तरह तैयार है कि 2018-19 में राजकोषीय घाटे का अनुमान 3.2% पर आये। मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यम ने कहा ही है कि "हमें स्थिरता के साथ चलना है, ताकि अर्थव्यवस्था पर अतिरिक्त दबाव न पड़े।" (शेयर मंथन, 31 जनवरी 2018)