प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति ने शुक्रवार को जूट बैग के इस्तेमाल के नियमों को मंजूरी दी है।
कैबिनेट से यह मंजूरी 2023-24 के लिए दी गई है। आपको बता दें कि जूट ईयर 1 जुलाई से 30 जून के बीच होता है। कैबिनेट ने जेपीएम (JPM) एक्ट यानी जूट पैकेजिंग मटीरियल के तहत यह मंजूरी दी है। फैसले के तहत सभी खाद्यान्न की पैकेजिंग जूट बैग में ही होने चाहिए। वहीं कुल चीनी का 20 फीसदी हिस्सा जूट बैग में करना अनिवार्य कर दिया गया है। जेपीएम एक्ट के तहत सरकार 4 लाख कामगारों को राहत देगी जो जूट मिल्स और सहायक इकाइयों में काम करते हैं। इससे करीब 40 लाख किसान परिवारों को राहत मिलेगी। जूट के उत्पादन का 75 फीसदी हिस्सा बैग बनाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। इसमें से 85 फीसदी फूड कॉरपोशन ऑफ इंडिया यानी एफसीआई (FCI) और स्टेट प्रोक्योरमेंट एजेंसीज (SPA) को आपूर्ति की जाती है। इसके बाद बची हुए जूट या तो निर्यात किए जाते हैं या सीधे तौर पर बेचे जाते हैं। सालाना आधार पर सरकार करीब 12,000 करोड़ रुपये का जूट खरीदती है। इसका इस्तेमाल अनाजों के पैकेजिंग के लिए किया जाता है। भारत में अनुमान के तौर पर जूट का उत्पादन 30 लाख बेल यानी करीब 9 लाख मीट्रिक टन के करीब होता है। सरकार के इस फैसले से घरेलू स्तर पर कच्चे जूट और जूट पैकेजिंग मटीरियल के उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा। इससे सरकार के 'आत्मनिर्भर भारत' की अवधारणा को बल मिलेगा। 2022-23 में देशभर में उत्पादित करीब 65 फीसदी कच्चे जूट का इस्तेमाल जूट पैकेजिंग मटीरियल के तौर पर किया गया। शुक्रवार को जूट शेयरों में तेजी देखने को मिली। लूडलो (ludlow) जूट 5.42%, शेविओट (Cheviot) 3.82% और ग्लोस्टर (gloster) 2.62% तक चढ़ कर बंद हुए।
(शेयर मंथन, 9 दिसंबर 2023)