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कंपनियों ने आईपीओ के जरिये पूँजी बाजार से इस साल 19% तक अधिक पूँजी जुटायी

भारतीय कंपनियों ने वित्त वर्ष 2023-24 में प्राथमिक पूँजी बाजार से 61,915 करोड़ रुपये जुटाये हैं। पूँजी बाजार पर आँकड़े जुटाने वाली संस्था प्राइम डाटाबेस के मुताबिक यह राशि वित्त वर्ष 2022-23 में जुटायी गयी 52,116 करोड़ रुपये से 19% अधिक है।

हालाँकि पिछले वित्त वर्ष में आये एलआईसी के मेगा आईपीओ को छोड़ दें तो वित्त वर्ष 2023-24 में आईपीओ गतिशीलता में 58% की वृद्धि हुई है। प्राइम डाटाबेस समूह के प्रबंध निदेशक प्रणव हल्दिया के मुताबिक, कुल सार्वजनिक इक्विटी धन उगाही 2023-24 में 142% की जबरदस्त बढ़त के साथ 1,86,108 करोड़ रुपये हो गयी, जो 2022-23 में 76,911 करोड़ रुपये थी।

2023-24 के शीर्ष 3 आईपीओ
वित्त वर्ष 2023-24 में सबसे बड़ा आईपीओ मैनकाइंड फार्मा का था, जिसका आकार 4326 करोड़ रुपये था। इसके बाद 3043 करोड़ रुपये के आकार का टाटा टेक्नोलॉजीज का आईपीओ था, जबकि जेएसडब्लू इंफ्रास्ट्रक्चर के आईपीओ का आकार 2800 करोड़ रुपये था।

प्लाजा वायर्स का आईपीओ रहा सबसे छोटा

प्लाजा वायर्स के आईपीओ का आकार सबसे छोटा महज 71 करोड़ रुपये था। छोटे आकार के आईपीओ में दूसरे नंबर पर विभोर स्टील का आईपीओ रहा। ये 72 करोड़ रुपये का था। औसत सौदे का आकार 2022-23 में 1,409 करोड़ रुपये था और 2021-22 में 2,105 करोड़ था। इसकी तुलना में ये काफी कम होकर 815 करोड़ रुपये हो गया।

बीएफएसआई कंपनियों की सीमित मौजूदगी

प्रणव हल्दिया के मुताबिक, जहाँ 2023-24 में हमने बाजार में विभिन्न कंपनियों के आईपीओ देखे, वहीं बीएफएसआई वो प्रमुख क्षेत्र था जिसकी सीमित उपस्थिति देखने को मिली। इस क्षेत्र की कंपनियों ने इस दौरान मात्र 9655 करोड़ रुपये (या 18%) की पूँजी जुटायी। नये दौर की तकनीकी कंपनियों (एनएटीसी) के भी मात्र तीन आईपीओ (यात्र, मामाअर्थ और जैग्गल) आये।

निवेशकों ने दिखाया जबरदस्त उत्साह

प्राइम डाटाबेस के मुताबिक, वित्त वर्ष 2023-24 में आये आईपीओ के प्रति कुल मिलाकर निवेशकों की प्रतिक्रिया उत्साहजनक थी। 75 आईपीओ पर उपलब्ध प्रतिक्रिया डाटा में से 54 आईपीओ को निवेशकों की जबरदस्त प्रतिक्रिया मिली और इन्हें 10 गुना तक अधिक अभिदान प्राप्त हुआ (इनमें से 22 आईपीओ 50 गुना अधिक सबस्क्राइब हुए)। इनमें से 11 आईपीओ को तीन गुना तक अधिक अभिदान प्राप्त हुआ। अन्य 10 आईपीओ एक से तीन गुना अधिक सबस्क्राइब हुए।

खुदरा निवेशकों की दिलचस्पी बढ़ी

वित्त वर्ष 2023-24 में खुदरा निवेशकों की प्रतिक्रिया में 2022-23 के मुकाबले जबरदस्त बढ़ोतरी देखने को मिली। खुदरा निवेशकों से 2023-24 में 13.17 लाख औसत आवेदन प्राप्त हुए, जबकि वित्त वर्ष 2022-23 में यह संख्या 5.57 लाख थी। खुदरा निवेशकों ने सबसे ज्यादा आवेदन टाटा टेक्नोलॉजीज (52.11 लाख) के लिए, इसके बाद डॉम्स इंडस्ट्रीज (41.30 लाख) और फिर आईनॉक्स इंडिया (37.34 लाख) के लिए किया।

निवेशकों को 65% तक प्रतिफल मिला

हल्दिया के मुताबिक शेयर बाजार में आईपीओ की दमदार लिस्टिंग देखने को मिली, जिससे इनके लिए प्रतिक्रिया में बढ़ोतरी देखने को मिली। वित्त वर्ष 2023-24 में सूचीद्ध हुए आईपीओ से औसत सूचीद्धता लाभ (लिस्टिंग के दिन के बंद भाव पर आधारित) बढ़कर 29% हो गया, जो 2022-23 में 9% था। 75 आईपीओ में से 48 से 10% का प्रतिफल मिला। विभोर स्टील के आईपीओ से सर्वाधिक 193% रिटर्न मिला, इसके बाद बीएलएस ई-सर्विसेज (175%) से और फिर टाटा टेक्नोलॉजीज (163%) से प्राप्त हुआ। इस साल सूचीद्ध 75 में से 51 आईपीओ निर्गम मूल्य ये ऊपर (21 मार्च 2024 के बंद भाव के अनुसार) कारोबार कर रहे हैं, इनका औसत प्रतिफल 65% रहा।

नये साल में जारी रहेगी मजबूती 

नये वित्त वर्ष 2024-25 के लिए आईपीओ बाजार में मजबूती जारी रहेगी। 19 कंपनियों के पास प्राथमिक बाजार से 25,000 करोड़ रुपये जुटाने की अनुमति बाजार नियामक सेबी की अनुमति है। इसके अलावा 37 अन्य कंपनियाँ बाजार से 45,000 करोड़ रुपये जुटाने के लिए सेबी की इजाजत का इंतजार कर रही हैं (इन 56 कंपनियों में से 9 एनएटीसी हैं जो लगभग 21,000 करोड़ रुपये जुटाना चाहती हैं)। हल्दिया के मुताबिक, आगामी आम चुनावों के बावजूद अगले कुछ महीनों में चंद नये आईपीओ लॉन्च होते हुए देखे जा सकेंगे।

एसएमई आईपीओ

वित्त वर्ष 2023-24 में इस श्रेणी में जबरदस्त वृद्धि देखने को मिली। इसमें 200 एसएमई आईपीओ ने कुल 5,838 करोड़ रुपये जुटाये, जो 2022-23 में 125 आईपीओ से अर्जित 2235 करोड़ रुपये से 161% अधिक है। सबसे बड़ा एसएमई आईपीओ केपी ग्रीन इंजीनियरिंग (180 करोड़ रुपये) का था।

स्टॉक एक्सचेंज के जरिये ओएफएस

प्राइम डाटाबेस के मुताबिक, स्टॉक एक्सचेंज के जरिये ऑफर फॉर सेल (ओएफएस) में दमदार बढ़ोतरी देखी गयी। यह कंपनी में प्रवर्तकों की हिस्सेदारी को कम करने की प्रक्रिया है। इसके जरिये 2022-23 में 11,159 करोड़ रुपये जुटाये गये थे, जो 2023-24 में बढ़ कर 21055 करोड़ रुपये हो गये। इसमें से सरकार का विनिवेश 13,704 करोड़ रुपये या कुल राशि का 65% था। सबसे बड़ा ओएफएस कोल इंडिया (4,179 करोड़ रुपये) का था। वर्ष के सार्वजनिक पूँजी बाजार से जुटायी गयी पूँजी में ओएफएस का हिस्सा 11% था। 2023-24 में किसी इनविट या रीट (InvIT/ReIT) द्वारा पहली बार ओएफएस भी देखा गया (डाटा इन्फ्रास्ट्रक्चर ट्रस्ट ने 2,071 करोड़ रुपये जुटाये)।

(शेयर मंथन, 26 मार्च 2024)

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