पूर्वोत्तर राज्यों में म्यूचुअल फंड की परिसंपत्तियों में जबरदस्त इजाफा देखने को मिल रहा है। देश के सात पूर्वोत्तर राज्यों में औसतन कुल प्रबंधन अधीन संपत्ति (एएयूएम) 2020 में 16,446 करोड़ रुपये से 145% बढ़कर मार्च 2024 में 40324 करोड़ रुपये पर पहुँच गयी। यह छोटे राज्यों के निवेशकों में म्यूचुअल फंड में निवेश के प्रति बढ़ती चाहत का संकेत है।
देश के म्यूचुअल फंड उद्योग में मार्च 2024 में 55.01 लाख करोड़ रुपये के कुल एएयूएम में पूर्वोत्तर राज्यों की हिस्सेदारी बढ़कर 0.73% हो गयी है, जो मार्च 2020 में 0.67% पर थी जब इंडस्ट्री का एएयूएम 24.71 लाख करोड़ रुपये था।
आईसीआरए एनालिटिक्स के वरिष्ठ उपाध्यक्ष और मार्केट डेटा प्रमुख अश्विनी कुमार ने कहा, हालाँकि म्यूचुअल फंड उद्योग के कुल एएयूएम में पूर्वोत्तर राज्यों का योगदान फीसदी के हिसाब से अब भी काफी कम है, लेकिन इन राज्यों में म्यूचुअल फंड प्रवाह में लगातार और निरंतर वृद्धि के साथ ही लोगों में जागरूकता और रुचि बढ़ने से इक्विटी में म्यूचुअल फंड के रास्ते निवेश के लिए खुदरा निवेशक प्रेरित हुए हैं।
पूर्वोत्तर के सात राज्यों में 29,268 करोड़ रुपये के एएयूएम के साथ असम प्रमुख योगदानकर्ता है, जिसका हिस्सा मार्च 2024 में 40,234 करोड़ रुपये के कुल एएयूएम का 73% था। असम का एएयूएम पिछले पाँच वर्षों में तकरीबन 159% तक बढ़ गया है, ये मार्च 2020 में 11,298 करोड़ रुपये था। आईसीआरए एनालिटिक्स के आँकड़ों के मुताबिक मेघालय का योगदान मार्च 2024 में 3,623 करोड़ रुपये के कुल एएयूएम के साथ 9% रहा, जिसमें मार्च 2020 में 1,714 करोड़ रुपये के मुकाबले 111% वृद्धि दर्ज की गयी। त्रिपुरा का योगदान 2,174 करोड़ रुपये के साथ 5% (मार्च 2020 में 1,155 करोड़ रुपये) था। इसी तरह नगालैंड की हिस्सेदारी 1,668 करोड़ रुपये के साथ 4% की (मार्च 2020 में 965 करोड़ रुपये) रही। अरुणाचल प्रदेश की भागीदारी 1,532 करोड़ रुपये के साथ 3.8% की रही (525 करोड़ रुपये)। मणिपुर 2.9% योगदान के साथ 1,152 करोड़ रुपये पर रहा (403 करोड़ रुपये), जबकि मिजोरम ने 907 करोड़ रुपये के साथ 2.25% (386 करोड़ रुपये) की भागीदारी की।
कुमार ने कहा, छोटे शहरों और कस्बे के लोगों के बीच निवेश के विभिन्न विकल्पों के बारे में जागरूकता में निरंतर वृद्धि हुई है। इसके साथ ही बढ़ती वित्तीय साक्षरता और म्यूचुअल फंड के जरिये इक्विटी में निवेश के प्रति खुदरा निवेशकों के रुझान में बढ़ोतरी हुई है, इन कारणों की वजह से शीर्ष 30 के अतिरिक्त अन्य शहरों और कस्बों में एएयूएम में अच्छी वृद्धि में योगदान दिया है। उन्होंने कहा कि पूर्वोत्तर राज्यों में एएमसी (एसेट मैनेजमेंट कंपनियों) द्वारा चलाये जाने वाले निवेशक जागरूकता अभियान ने भी लोगों के बीच जानकारी बढ़ाने में मदद की है।
हालाँकि, देश में म्यूचुअल फंड की पैठ अब भी कम है और इसमें विस्तार की काफी गुंजाइश है। उन्होंने कहा कि उभरता हुआ मध्यम वर्ग और बढ़ती वित्तीय साक्षरता की वजह से ज्यादा से ज्यादा लोगों को वित्तीय नियोजन करने के लिए प्रेरित किया जा सकता है ताकि बचत अर्जित की जा सके। इससे पूर्वोत्तर राज्यों में म्यूचुअल फंड में निवेश को बढ़वा मिलने की उम्मीद है।
एयूएम में वृद्धि
अप्रैल 2024 में डेट और इक्विटी आधारित योजनाओं में प्रवाह में निरंतर वृद्धि के साथ भारतीय म्यूचुअल फंड उद्योग ने विकास की गति जारी रखी है। इंडस्ट्री के शुद्ध एयूएम में 2023-24 में 35% की वृद्धि दर्ज की गयी है। इसने अप्रैल 2024 में अपना शानदार प्रदर्शन जारी रखा और सालाना आधार पर 38% की बढ़ोतरी दर्ज करने के साथ ही 57.26 लाख करोड़ रुपये पर पहुँच गया, जो अप्रैल 2023 में 41.62 लाख करोड़ रुपये पर था।
क्रमानुसार शुद्ध एयूएम मार्च 2024 में 53.40 लाख करोड़ रुपये के मुकाबले 7% बढ़ गया। शुद्ध प्रवाह में 97% का इजाफा हुआ और ये अप्रैल 2023 में 1.21 लाख करोड़ रुपये के मुकाबले 2.39 लाख करोड़ रुपये हो गया।
ओपेन एंडेड श्रेणी के तहत डेट आधारित योजनाओं में शुद्ध प्रवाह अप्रैल 2024 में 78% बढ़ कर 1.90 लाख करोड़ रुपये हो गया, यह पिछले साल से 1.07 लाख करोड़ रुपये अधिक था। कुमार ने कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक के नीतिगत दरों पर अगले एक या दो और तिमाहियों तक यथास्थिति बनाये रखने के रुख की वजह से निकट समय में ईल्ड में सुस्ती की आशंका है। हालाँकि निवेशक चुनाव माह के आसपास होने वाले घटनाक्रमों पर थोड़ा सतर्क रहेंगे और वैश्विक ब्याज दरों पर कड़ी नजर रखेंगे।
इक्विटी आधारित स्कीमों में प्रवाह 192% से बढ़ कर 18,917 करोड़ रुपये (6,480 करोड़ रुपये) हो गया। सेक्टर आधारित/थीम आधारित फंड के प्रवाह में अप्रैल 2024 में 741% की वृद्धि दर्ज की गयी और ये पिछले साल के 614 करोड़ रुपये के मुकाबले 5,166 करोड़ रुपये रहा।
उन्होंने आगे कहा कि स्मॉल कैप फंड्स, जिसमें हाल में बाजार नियामक सेबी के नियमित तनाव परीक्षण कराने के निर्देश के बाद कुछ करेक्शन देखने को मिला है और जिसमें मार्च 2024 में 94 करोड़ रुपये का शुद्ध आउटफ्लो दर्ज किया गया। अप्रैल 2024 में इसमें 2,209 करोड़ रुपये का शुद्ध प्रवाह दर्ज किया गया। हमारा मानना है कि स्मॉल और मिड-कैप फंड में मध्यम से लंबी अवधि में निवेशकों का रुझान बना रहेगा। इससे मजबूत नियमकीय ढाँचे द्वारा समर्थित कंपनियों में वैल्यू सृजित होने से बेहतर कॉर्पोरेट गवर्नेंस प्रथाओं को बढ़ावा देने मिलेगा और देश के आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के सरकार के मजबूत इरादे को बल मिलेगा।
(शेयर मंथन, 13 मई 2024)
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