बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने म्यूचुअल फंड को लेकर नियमों में बदलाव किया है। इस बार ये बदलाव म्यूचुअल फंड यूनिट के लिए भेदिया कारोबार (इनसाइडर ट्रेडिंग) के नियमों को लेकर है। सेबी ने अपने आदेश में कहा है कि म्यूचुअल फंड के लिए भेदिया कारोबार नियम 1 नवंबर से लागू होगा। ये नियम नवंबर 2022 में ही तय हो गये थे लेकिन उद्योग की तैयारी के बाद अब अमल में आये हैं।
क्या होगा असर?
नये नियमों के तहत परिसंपत्ति प्रबंधन कंपनी (एएमसी) के म्यूचुअल फंड में नामित व्यक्तियों, न्यासियों या उनके करीबी रिश्तेदारों द्वारा किये गये 15 लाख रुपये से अधिक के सभी लेनदेन की सूचना दो कारोबारी दिन के भीतर अनुपालन अधिकारी को देनी होगी। यह सीमा एक बार के लेनदेन या एक तिमाही में कई लेनदेन के लिए होगी।
क्या हैं नियम?
सेबी के आदेश के मुताबिक म्यूचुअल फंड में 31 अक्टूबर तक जो भी निवेश हुआ है उसकी जानकारी 15 नवंबर तक देनी होगी। इसके बाद की जानकारी कंपनियों को हर तिमाही उसके खत्म होने के 10 दिन के अंदर देनी होगी। बाजार नियामक के मुताबिक छूट वाली योजनाओं को छोड़कर एएमसी के नामित व्यक्तियों, न्यासियों और उनके करीबी रिश्तेदारों द्वारा अपने म्यूचुअल फंड की योजनाओं में प्रति पैन या किसी भी तिमाही में अलग लेनदेन के जरिये 15 लाख रुपये से अधिक के सभी लेनदेन के बारे में जानकारी देना जरूरी होगा। ये जानकारी लेनदेन होने के दो कारोबारी दिन में देनी होगी।
कर्मचारियों पर क्या बोली सेबी?
मार्केट रेगुलेटर ने ये भी कहा कि कर्मचारियों को 30 दिन में एक ही सिक्योरिटी में कारोबार से मुनाफा कमाने से बचना चाहिये। साथ ही अगर वे लेनदेन करते हैं तो उन्हें एएमसी के यूनिट अधिकारी को इसकी जानकारी देनी होगी। यूनिट अधिकारी इस बारे में एएमसी के निदेशक मंडल और न्यासियों को जानकारी देगा। आपको बता दें कि सेबी ने नवंबर, 2022 में एक अधिसूचना के जरिये म्यूचुअल फंड कारोबार को भेदिया कारोबार नियमों के तहत शामिल किया था। इसका उद्देश्य एएमसी के भीतर ईमानदारी और पारदर्शिता को बढ़ाना है।
(शेयर मंथन, 23 अक्तूबर 2024)
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