भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने लगातार 11वीं बार रेपो दर में कोई बदलाव नहीं किया है और इसे 6.50% पर बरकरार रखा है। मौद्रिक नीति समिति की शुक्रवार (06 दिसंबर) को हुई बैठक के बाद आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि केंद्रीय बैंक ने 4-2 के बहुमत के साथ अपने रुख को तटस्थ रखने का फैसला किया है। साथ ही उन्होंने कहा कि मूल्य स्थिरता समाज के सभी वर्गों के लिए महत्वपूर्ण है।
रेपो रेट को रखा स्थिर
केंद्रीय बैंक ने इससे पहले फरवरी 2023 में रेपो रेट में बदलाव किया था। उस वक्त इसे 25 आधार अंक बढ़ाकर 6.50% किया था। इसके बाद से अभी तक रेपो रेट 6.50% पर ही स्थिर है। आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति की बैठक से पहले रेपी दर में कटौती की उम्मीद जतायी जा रही थी। रेपो रेट में कटौती से लोगों को महँगी ईएमआई से राहत मिल सकती थी, लेकिन ऐसा हुआ नहीं।
खुदरा मुद्रास्फीति में वृद्धि का अनुमान
वित्त वर्ष 2025 के लिए आरबीआई ने खुदरा मुद्रास्फीति 4.8% रहने का अनुमान जताया है, जो महँगाई और विकास को संतुलित करने में चुनौतियों की तरफ इशारा करता है। शक्तिकांत दास के मुताबिक, मौसम संबंधी चुनौतियों, वित्तीय अस्थिरता और भू-राजनीतिक तनाव के कारण वैश्विक स्तर पर महँगाई बढ़ी है।
सीआरआर को घटाया
वहीं केंद्रीय बैंक ने सीआरआर को 4.5% से घटाकर 4% कर दिया है। गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि सीआरआर में 50 आधार अंकों की कटौती करने का निर्णय लिया गया है। आरबीआई के इस फैसले से बैंकों को 1.16 लाख करोड़ रुपये की अतिरिक्त नकदी उपलब्ध होगी।
वृद्धि दर के अनुमान को घटाया
इसके अतिरिक्त, आरबीआई ने वित्त वर्ष 2024-25 के लिए जीडीपी वृद्धि के अनुमान को घटाकर 6.6% कर दिया है। इसमें तीसरी तिमाही में वृद्धि दर 6.8 और चौथी तिमाही में 7.2 % रहने का अनुमान जताया गया है। बता दें कि दूसरी तिमाही में वृद्धि दर 5.4% रही थी।
(शेयर मंथन, 06 दिसंबर 2024)
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