
हल्दी वायदा (अप्रैल) की कीमतों में नरमी के रुझान के साथ 6,350 रुपये तक गिरावट हो सकती है।
बाजार सूत्रों के अनुसार बाजार में खरीदार सक्रिय नही हैं। नयी फसल की आवक में बढ़ोतरी के कारण हाजिर बाजारों में हल्दी की कीमतों पर दबाव रह सकता है। 15 जनवरी के बाद से हाजिर बाजारों में नयी फसल की आवक में बढ़ोतरी होने लगी है।
जीरा वायदा (मार्च) में निचले स्तर पर खरीदारी हो सकती है और कीमतों के 16,700-17,100 रुपये के दायरे में कारोबार करने की संभावना है। कम आवक के कारण कल गुजरात के ऊंझा बाजार में जीरे की कीमतों में 15-25 रुपये 20 किलो ग्राम की बढ़ोतरी हुई है। आगामी दिनों में जीरे की फसल की स्थिति भी एक अहम कारक होगी, क्योंकि जीरे की फसल को विकास के प्रत्येक चरण में खरपतवार की समस्या का सामना करना पड़ता है। जीरे का कैरीओवर स्टॉक भी 2,00,000-3,00,000 बैग (1 बैग 55 किलो ग्राम का) रहने का अनुमान है, जो 5,00,000 बैग की संभावना से कम है। नयी फसल की आवक फरवरी में शुरू होगी।
धनिया वायदा (अप्रैल) की कीमतों में गिरावट होने की संभावना है और कीमतें 6,500 के मजबूत सहारा स्तर से नीचे टूट सकती हैं। यद्यपि माँग और आपूर्ति के बराबर होने के कारण कल गुजरात, राजस्थान और मध्य प्रदेश में धनिया की कीमतों में स्थिरता रही है। लेकिन कारोबारियों के अनुसार प्रमुख उत्पादन क्षेत्रों में खड़ी फसल कटाई के लिए पूरी तरह से तैयार है। राजस्थान में अधिक आवक शुरू होने और दक्षिण भारत से कमजोर माँग के कारण कीमतों पर दबाव रह सकता है। (शेयर मंथन, 17 जनवरी 2018)