
अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये की 70.64 से 68.46 तक मजबूती के साथ ही ऑयलमील के कम निर्यात जैसे कई कारणों से सोयाबीन वायदा की कीमतें पिछले तीन महीने से गिरावट के साथ कारोबार कर रही हैं।
नरमी के इस रुझान के जारी रहने की संभावना है और अगस्त कॉन्ट्रैक्ट की कीमतों को 3,625-3,600 रुपये के स्तर पर बाधा रहने की संभावना है। आगामी दिनों में प्रमुख उत्पादन क्षेत्रों में मॉनसून की प्रगति के साथ ही बुआई में भी तेजी आ सकती है। सरकार द्वारा सोयाबीन का न्यूनतम समर्थन मूल्य 311 रुपये प्रति क्विंटल बढ़ा कर 3,710 रुपये प्रति क्विंटल कर दिये जाने के बाद किसान सोयाबीन की अधिक बुआई कर सकते हैं।
अमेरिकी कृषि विभाग के अनुसार तिलहन का उत्पादन बाजार के अनुमान से कम होने की संभावना से सीबोट में, अमेरिकी सोयाबीन वायदा की कीमतों में बढ़त दर्ज की गयी है और कीमतें लगभग 3% की साप्ताहिक बढ़त की ओर अग्रसर हैं। अमेरिकी कृषि विभाग ने 2019-20 में सोयाबीन के उत्पादन अनुमान को जून के 4.150 अरब बुशल से कम करके के 3.845 अरब बुशल कर दिया है।
सरसों वायदा (अगस्त) की कीमतें नरमी के रुझान के साथ 3,910-3,930 रुपये के दायरे में सीमित दायरे में कारोबार कर सकती हैं। मिलों द्वारा पेराई के लिए कमजोर माँग के कारण भी कीमतों पर दबाव पड़ रहा है। मिलों ने जून महीने में मई की तुलना में 13% कम पेराई की है।
सीपीओ वायदा (जुलाई) की कीमतों को 500 के स्तर पर बाधा रह सकता है जबकि सोया तेल वायदा (अगस्त) की कीमतें 730 रुपये से नीचे ही रह सकती हैं। केन्द्रीय बजट में वित्त मंत्री ने कहा है कि सरकार आयात बिल कम करने के लिए तिलहन में आत्म निर्भरता प्राप्त करने की कोशिश कर रही है। (शेयर मंथन, 12 जुलाई 2019)