
मिले-जुले फंडामेंटल के कारण सोयाबीन वायदा (फरवरी) की कीमतें 4,690-4,760 रुपये के दायरे में कारोबार कर सकती है जबकि कीमतों की तेजी और गिरावट दोनों पर रोक लगी रह सकती है।
देश के विभिन्न हिस्सों में एवियन फ्लू के प्रकोप के कारण पशु और पक्षी आहार उद्योग की ओर से जनवरी में सोयामील की माँग में एक लाख टन से अधिक गिरावट हुई है। लेकिन उम्मीद है कि घरेलू खपत में गिरावट की भरपायी निर्यात से हो जायेगी, क्योंकि अंतरराष्ट्रीय बाजार में माँग बढ़ी है। सॉल्वेंट एक्सटैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के अनुसार, 1 अक्टूबर को शुरू होने वाले वर्ष 2020-21 में भारत का सोयामील निर्यात पिछले वर्ष के 8,25,000 टन से बढ़कर 2 मिलियन टन से अधिक हो सकता है। भारतीय निर्यातक दक्षिण अमेरिका के 550 डॉलर से अधिक की तुलना में 540 डॉलर प्रति टन में सोयामील की पेशकश कर रहे है। खाद्य तेलों की कीमतों में गिरावट के कारक आने वाले दिनों में जारी रह सकते है, सबसे पहले बाजार में अटकलें है कि सरकार आयात शुल्क में कमी के विकल्प विचार कर सकती है और दूसरा आयातित खाद्य तेलों की अधिक मात्रा। दिसंबर 2020 के दौरान वनस्पति तेलों का आयात दिसंबर 2019 के 1,128,281 टन की तुलना में 1,356,585 टन हुआ है, जिसमें 1,328,161 टन खाद्य तेल और 28,424 टन गैर-खाद्य तेल हैं।
यह देखते हुय़े सोया तेल वायदा (फरवरी) की कीमतों के 1,110-1,130 रुपये के दायरे में सीमित कारोबार करने की संभावना है, जबकि सीपीओ वायदा (जनवरी) की कीमतों के 930-950 रुपये के दायरे में कारोबार करने की संभावना है।
आरएम सीड वायदा (फरवरी) की कीमतों के 5,640-5,740 रुपये के दायरे में सीमित कारोबार करने की संभावना है। वर्तमान परिदृश्य में, फसल की स्थिति अच्छी है और उत्पादन का पूर्वानुमान अधिक है, जिसके कारण हम इस काउंटर में मंदी का रुझान जारी रह सकता हैं। (शेयर मंथन, 19 जनवरी 2021)