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वित्त मंत्री पी चिदंबरम (P Chidambaram) का आम बजट पेश होने के बाद लोगों के बीच कैसी सोच बनी, यह बड़ी आसानी से फेसबुक जैसी वेबसाइटों पर लोगों की टिप्पणियों में देखा जा सकता है।
राहुल त्रिपाठी : मध्यम वर्ग के लिए बजट में कुछ नहीं। ये बेचारा जिम्मेदारी के बोझ का मारा, फिक्र को धुए में भी नहीं उड़ा सकता। सिगरेट भी महंगी हो गयी है। भगवान भी इस वर्ग का भला नहीं कर सकता।
आशुतोष कुमार सिंह : वित मंत्री साहब आम बजट अंग्रेजी में पढ़ रहे थे...क्या अंग्रेजी आम आदमी की भाषा है...! हिन्दी में बजट भाषण पढ़ने से ये नेता डरते क्यों हैं...
शैलेंद्र दुबे : बजट देश के इतिहास का सबसे निराशाजनक बजट है। यदि नौकरीपेशा लोगों के लिए आयकर में छूट की सीमा न बढ़ायी गयी और आयकर की दरों में कमी न की गयी तो 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को परिणाम भुगतने के लिए तैयार रहना चाहिए।
सुनील कुमार : अब जब भारत अपना ने रक्षा बजट दो लाख करोड़ से ज्यादा का रखा है, तो हमारा पड़ोसी भी इसके आस पास ही रखेगा कुल मिलकर हर साल इतने करोड़ रुपये बर्बाद जा रहे है जो किसी अच्छे काम में लाये जा सकते हैं।
राकेश सिन्हा : अमेरिकी चश्मा पहनकर वित्त मंत्री भारत का बजट बनायेंगे तो आप क्या उम्मीद कर सकते हैं?
पवन सिंह : देश को चलाने के लिए अर्थशास्त्री नहीं बल्कि यथार्थशास्त्री की जरूरत है। यह सरकार गरीबी के आँकड़ों से भी आँकड़ेबाजी कर रही है।
उमेश चंद्रा : सरकार ने बहुत बड़े राजस्व को अनदेखा किया है। सरकार को चाहिए कि जो कार/ मोटरसाइकिल आदि सड़कों /गलियों पर खड़ी रहती हैं उन पर भी टैक्स लगाना चाहिए। क्योंकि उपभोक्ता छोटा मकान खरीदकर टैक्स तो बचाता ही है गाड़ियाँ सड़क पर पार्क कर लोगों के लिए समस्या उत्पन्न करते हैं।
कुमार सौरव : आम बजट की सबसे खास बात.. विदेशी जूते सस्ते कर दिये हैं.. खरीद के रख लें, अगले साल के आम चुनाव में काम आ सकते हैं....!!!!!
बृज किशोर यादव : रेल बजट मेँ मुफ्त वाई फाई देने की घोषणा के बाद आम बजट मेँ मोबाइल का दाम बढ़ाकर सरकार ने वाई फाई का चार्ज वसूल कर लिया।
(शेयर मंथन, 28 फरवरी 2013)