देश की आर्थिक स्थिति पर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह (Manmohan Singh) ने आज संसद में अपना दृष्टिकोण रखा।
मनमोहन सिंह ने संसद के दोनों सदनों में देश की खस्ता आर्थिक स्थिति पर बोलते हुए बढ़ते चालू खाता घाटे को इसकी वजह बताया। उन्होंने अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये में रिकॉर्डतोड़ गिरावट के लिए घरेलू कारणों के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय परिस्थितियों को भी जिम्मेदार ठहराया। प्रधानमंत्री ने स्पष्ट किया कि सिर्फ भारतीय रुपया ही नहीं बल्कि विश्व की कई अन्य मुद्राएँ भी कमजोर है। हालाँकि प्रधानमंत्री ने यह स्पष्ट किया वह पूँजी नियंत्रण (Capital Gain) के पक्ष में नहीं है।
प्रधानमंत्री ने सोने में कम खरीदारी करने के साथ-साथ पेट्रोल और डीजल के किफायती इस्तेमाल पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा की वर्तमान स्थिति से निपटने के लिए सरकार और आरबीआई हरसंभव कोशिश कर रही है। देश की अर्थव्यव्स्था को दुरुस्त करने के लिए निर्यात बढ़ाने की जरूरत है। प्रधानमंत्री ने उम्मीद जतायी कि आवश्यक उपायों के साथ जल्द ही विकास में तेजी आयेगी।
प्रधानमंत्री ने अपने वक्तव्य में सुधार प्रक्रियाओं को बढ़ाने की दिशा में चालू खाता घाटा कम करने की बात कही। रुपये को सँभालने के लिए सीधे तौर पर आयात घटाने और निर्यात बढ़ाने पर जोर दिया। उन्होंने तमाम राजनीतिक पार्टियों से सरकार के साथ सामंजस्य बैठाने की अपील की। (शेयर मंथन, 30 अगस्त 2013)