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भारतीय रिजर्व बैंक ने चेतावनी दी है कि मई 2014 के चुनाव के बाद यदि राजनीतिक अस्थिरता का माहौल बना तो भारतीय अर्थव्यवस्था के हालात और खराब हो सकते हैं। आरबीआई ने फाइनेंशियल स्टेबिलिटी रिपोर्ट 2013 में कहा है कि चुनाव के बाद स्थिर सरकार आना भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए सकारात्मक होगा।
रिपोर्ट के अनुसार फेडरल रिजर्व द्वारा टेपरिंग में की गयी देरी की वजह से आरबीआई को चालू खाते के घाटे को समायोजित करने और विदेशी मुद्रा भंडार को बढ़ाते हुए बफर बनाने का समय मिल गया। विकास के धीमेपन के दौरान महँगाई की ऊँची दर की वजह से भारतीय अर्थव्यवस्था के मूलभूत कारकों का समायोजन अभी पूरा नहीं हो सका है। घरेलू बचत दर में गिरावट और ऊँचा वित्तीय घाटा भारत के लिए अन्य प्रमुख चिंताएँ हैं।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि परिसंपत्तियों की गुणवत्ता (एसेट क्वालिटी) अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों के लिए चिंता का सबब बनी हुई है। (शेयर मंथन, 30 दिसंबर 2013)
रिपोर्ट के अनुसार फेडरल रिजर्व द्वारा टेपरिंग में की गयी देरी की वजह से आरबीआई को चालू खाते के घाटे को समायोजित करने और विदेशी मुद्रा भंडार को बढ़ाते हुए बफर बनाने का समय मिल गया। विकास के धीमेपन के दौरान महँगाई की ऊँची दर की वजह से भारतीय अर्थव्यवस्था के मूलभूत कारकों का समायोजन अभी पूरा नहीं हो सका है। घरेलू बचत दर में गिरावट और ऊँचा वित्तीय घाटा भारत के लिए अन्य प्रमुख चिंताएँ हैं।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि परिसंपत्तियों की गुणवत्ता (एसेट क्वालिटी) अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों के लिए चिंता का सबब बनी हुई है। (शेयर मंथन, 30 दिसंबर 2013)