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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने बुधवार को 20,000 करोड़ रुपये की निधि के साथ मुद्रा बैंक (Mudra Bank) का आरंभ किया है।
मुद्रा बैंक का उद्देश्य छोटे उद्यमों और व्यवसायों को ऋण उपलब्ध कराना है। साथ ही यह लघु-वित्त (माइक्रो-फाइनेंस) संस्थाओं का नियमन भी करेगा। प्रधानमंत्री ने दिल्ली में विज्ञान भवन में आयोजित एक समारोह में 'प्रधानमंत्री मुद्रा योजना' का शुभारंभ किया और इसके लोगो का विमोचन किया।
उन्होंने इस मौके पर कहा कि भारत में जहाँ बड़े उद्योगों को कई तरह की सुविधाएँ उपलब्ध करायी जा रही हैं, वहीं स्वरोजगार में जुटे 5.75 करोड़ लोगों पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है, जो औसतन मात्र 17,000 रुपये प्रति इकाई के कर्ज के साथ 11 लाख करोड़ रुपये की राशि का इस्तेमाल करते हैं और 12 करोड़ भारतीयों को रोजगार उपलब्ध कराते हैं। उन्होंने कहा कि इन तथ्यों के उभर कर सामने आने के बाद ही 'मुद्रा बैंक' का दृष्टिकोण तैयार हुआ।
प्रधानमंत्री ने कहा कि मुद्रा योजना का मुख्य उद्देश्य 'वित्त से वंचित लोगों को वित्त मुहैया कराना' है। उन्होंने कहा कि भारत में छोटे उद्यमियों का अब तक साहूकारों के हाथों शोषण होता रहा है, लेकिन 'मुद्रा' से उनमें इस तरह का एक नया विश्वास पैदा होगा कि देश उन लोगों के प्रयासों में पूरा सहयोग देने को तैयार है जो राष्ट्र निर्माण में बहुमूल्य योगदान दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि स्थापित वित्तीय प्रणालियाँ जल्द ही अपने कामकाज में मुद्रा मॉडल को अपनाने लगेंगी।
इस योजना के तहत उन उद्यमियों को सहायता दी जायेगी, जो कम-से-कम राशि का इस्तेमाल कर बड़ी संख्या में लोगों को रोजगार मुहैया कराते हैं। प्रधानमंत्री ने बैंक अधिकारियों से दुनिया के अन्य हिस्सों में अपनाये जा रहे सफल सूक्ष्म वित्त (माइक्रो फाइनेंस) मॉडल का अध्ययन करने और स्थानीय जरूरतों के मुताबिक उन्हें अपनाने की कोशिश करने को कहा। (शेयर मंथन, 08 अप्रैल 2015)