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भारतीय मौसम विभाग (Indian Meteorological Department) ने साल 2015 में मानसून (Monsoon) कमजोर रहने का अनुमान सामने रखा है।
केंद्रीय विज्ञान एवं तकनीक मंत्री हर्षवर्द्धन ने आज इन अनुमानों की जानकारी देते हुए बताया कि इस साल जून से सितंबर के बीच मानसून की बारिश औसत से कम होने की संभावना है। हर्षवर्द्धन ने कहा कि सामान्य से कम मानसूनी बारिश होने की संभावना 33% है, जबकि सामान्य मानसून रहने की संभावना 28% है। वहीं औसत से ज्यादा बारिश होने की संभावना न के बराबर है। मौसम विभाग के मुताबिक इस बार मानसून के मौसम में बारिश 50 वर्षों के औसत की तुलना में 93% रहने का अनुमान है।
मौसम विभाग की यह चेतावनी महँगाई दर फिर से बढ़ने की आशंका पैदा करती है। अर्थव्यवस्था की विकास दर को फिर से तेज करने की सरकारी कोशिशों को भी इससे झटका लग सकता है। गौरतलब है कि पिछले साल भी मानसून के दौरान 50 वर्षों के औसत की तुलना में 11.9% कम बारिश हुई थी। हाल में भी बेमौसम बरसात के चलते खेतों में खड़ी फसलों को भारी नुकसान होने की खबरें आयी हैं। ऐसे समय में कमजोर मानसून की खबर देश के किसानों और ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए काफी चिंताजनक है।
इस साल फिर से कमजोर मानसून के पीछे एल-नीनो (El-Nino) को जिम्मेदार बताया जा रहा है। मौसम विभाग ने स्पष्ट किया है कि प्रशांत महासागर के ऊपर कमजोर एल-नीनो की दशाएँ बनी हुई हैं। प्रशांत महासागर में असामान्य गर्मी के कारण समुद्री हवाओं के रुख में बदलाव को एल-नीनो का नाम दिया गया है और इसका बुरा असर भारत में मानसून पर भी होता है।
हालाँकि इससे पहले मौसम की भविष्यवाणी करने वाली एक स्वतंत्र संस्था स्काईमेट ने हाल ही में भविष्यवाणी की थी कि इस बार मानसून सामान्य रहने वाला है। मानसून के बारे में भारतीय मौसम विभाग की अंतिम भविष्यवाणी जून में पेश की जायेगी। (शेयर मंथन, 22 अप्रैल 2015)