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अभीक बरुआ, मुख्य अर्थशास्त्री, एचडीएफसी बैंक (Abheek Barua, Chief Economist, HDFC Bank)
भारतीय समय के मुताबिक आज दोपहर 12.30 बजे ब्रेक्सिट (Brexit) पर यूके (UK) में जनमत संग्रह के लिए मतदान शुरू होगा। यह मतदान प्रातः 3.30 (भारतीय समय) चलता रहेगा। शुक्रवार 24 जून को सुबह 6.30-7.00 बजे तक आरंभिक परिणाम सामने आयेंगे और अंतिम परिणाम लगभग 12.30-1.00 बजे तक आयेगा। इस जनमत संग्रह के दोनों तरह के परिणामों का संभावित असर क्या हो सकता है, इसका आकलन करते हैं। अब तक अधिकांश सर्वेक्षण (Poll) दिखा रहे हैं कि अंतिम परिणाम काफी नजदीकी हो सकता है, लेकिन बहुमत यूरोपीय संघ (EU) के साथ बने रहने के पक्ष में होगा।
यूरोपीय संघ के साथ बने रहने के फैसले का संभावित असर :
- पाउंड/डॉलर निकट भविष्य में तेज हो कर 1.50 के स्तर तक जा सकता है और मध्यम अवधि में 1.45-1.55 के दायरे में रह सकता है।
- डॉलर/रुपया 66.80 के स्तर की ओर जा सकता है।
- डॉलर/येन वापस 106 के स्तर की ओर जा सकता है।
- हालाँकि धारणा में आने वाला सुधार बहुत कम समय तक बना रह सकता है, क्योंकि जल्दी ही अमेरिकी मौद्रिक नीति और चीन में आर्थिक घटनाक्रम की ओर चला जायेगा।
- हमारा आकलन है कि 2016 में डॉलर में तेजी रहेगी।
यूरोपीय संघ छोड़ने का फैसला होने पर :
अगर जनमत संग्रह में यूरोपीय संघ छोड़ने के पक्ष में बहुमत आता है, तो सबसे ज्यादा संभावना नरम ब्रेक्सिट की हो सकती है। इस संभावना में यूके यूरोपीय आर्थिक क्षेत्र (EEA) के सदस्यों के जैसी शर्तों पर मोलभाव कर सकता है या स्विटजरलैंड की तरह ईयू के अन्य देशों के साथ द्विपक्षीय समझौते कर सकता है।
नरम ब्रेक्सिट की स्थिति में भी वित्तीय बाजारों में काफी उथल-पुथ हो सकती है और ईयू के साथ यूके की अर्थव्यवस्था के भावी संबंधों को लेकर अनिश्चितता बन सकती है। इस स्थिति में 2016 में यूके की विकास दर धीमी रहने के बाद 2017 में सँभल सकती है। नरम ब्रेक्सिट के परिणाम इस प्रकार हो सकते हैं :
- यूके की अर्थव्यवस्था में भुगतान संतुलन बिगड़ने के झटके से पाउंड/डॉलर की दर 1.30-1.40 के दायरे में आ जाये और 2016 में 1.25 तक फिसलने की संभावना बन जाये।
- डॉलर में चौतरफा तेजी आ सकती है, लेकिन उसकी वजह से फेडरल रिजर्व को बाजार के लिए नरम संकेत देने पड़ेंगे, जिससे मध्यम अवधि में इसकी तेजी सीमित रहेगी।
- यूरो/डॉलर नीचे फिसल कर 1.05-1.08 के दायरे की ओर जा सकता है, लेकिन चालू खाते के अधिशेष (करंट एकाउंट सरप्लस) की वजह से नीतिनिर्माताओं की ओर से अस्तव्यस्त विलगाव न होने के आश्वासन के चलते इसमें स्थिरता आ जायेगी।
- डॉलर/रुपया अन्य उभरते बाजारों (इमर्जिंग मार्केट) की मुद्राओं के अनुरूप चल सकता है और 68.50-69.00 की ओर जा सकता है। लेकिन यूके और ईयू के नीति-निर्माताओं के बीच बातचीत के नये दौर और नरम फेडरल रिजर्व के कारण 2016 की तीसरी तिमाही में डॉलर की कीमत घट सकती है।
- डॉलर/येन जोखिम से बचने की रणनीति के कारण 100 की ओर जा सकता है और मध्यम अवधि में इसमें सीमित बढ़त की संभावना रहेगी।
सख्त ब्रेक्सिट से क्या होगा :
सख्त ब्रेक्सिट की संभावना कम ही है, जिसमें यूके को यूरोपीय संघ के एकल बाजार तक पहुँच से पूरी तरह वंचित हो जाना पड़े। लेकिन ऐसा होने पर जोखिम से बचने की रणनीति लंबे समय तक जारी रहेगी और इससे उभरते बाजारों की मुद्राओं के साथ-साथ यूरो में भी हमारे मौजूदा अनुमानों से कहीं ज्यादा कमजोरी आयेगी। (शेयर मंथन, 23 जून 2016)