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जून महीने में थोक मूल्य सूचकांक (WPI) बढ़ कर 1.62% हो गया है।
ऐसा मुख्यतः खाद्य पदार्थों और निर्मित वस्तुओं की कीमतों में बढ़ोतरी की वजह से हुआ है। खाने-पीने की चीजों की महँगाई बढ़ने के पीछे सब्जियाँ, दालें और चीनी की प्रमुख भूमिका रही। इसके अलावा ऊर्जा की कीमत भी इस दौरान बढ़ी है, जो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी का परिणाम है। दरअसल यह लगातार तीसरा महीना है, जब थोक मूल्य सूचकांक में बढ़ोतरी दर्ज की गयी है। इससे पहले मई महीने में थोक मूल्य सूचकांक 0.79% रहा था, जबकि पिछले साल जून में यह -2.13% दर्ज किया गया था।
इससे पहले मंगलवार को जारी आँकड़ों के मुताबिक खुदरा महँगाई दर (CPI) जून में 22 महीने के उच्चतम स्तर पर पहुँच गयी है। जून 2016 में यह 5.77% रही, जबकि इससे पहले मई में यह 5.76% रही थी। ऐसे में जानकारों का मानना है कि अगस्त 2016 में भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की समीक्षा बैठक में ब्याज दरों की कटौती की संभावना नहीं के बराबर हो गयी है। (शेयर मंथन, 14 जुलाई 2016)