2 अप्रैल से पहले इंतजार करो और देखो की रणनीति अपना रहा बीओजे, नहीं बढ़ायी ब्याज दरें

अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के सत्ता संभालने के साथ ही पूरी दुनिया के बाजारों में जबरदस्त उठा-पटक देखने को मिल रही है। मार्च आधे से ज्यादा खत्म हो चुका है और अब सबको 2 अप्रैल की तारीख का इंतजार है, जब अमेरिका अपने यहाँ आयात होने वाली वस्तुओं पारस्परिक शुल्क लगायेगा। इस कदम का असर समय से पहले ही दिखना शुरू हो गया है और जापान के केंद्रीय बैंक ने हाल ही में सम्पन्न हुई मौद्रिक नीति की बैठक में ब्याज दरों को स्थिर रखने का फैसला किया है। 

बैंक ऑफ जापान (बीओजे) ने मौजूदा वैश्विक व्यापार परिस्थितियों को देखते हुए वेट ऐंड वॉच की रणनीति पर बने रहने का फैसला करने के साथ ही ट्रंप टैरिफ नीतियों को लेकर चिंता भी जतायी है। चीन, यूरोप, कनाडा और मैक्सिको अमेरिका और ट्रंप को उन्ही की भाषा में जबाव दे रहे हैं। वहीं भारत अमेरिका के साथ मुक्त व्यापार समझौता करने की कोशिश में है। 

जापान में नहीं बदली ब्याज दर

बैंक ऑफ जापान ने बाजार की उम्मीद के मुताबिक ही फैसला किया और ब्याज दर 0.50% पर कायम रखते हुए इसमें कोई बदलाव नहीं किया। इससे पहले जापान के केंद्रीय बैंक ने इसी साल जनवरी में ब्याज दर 0.25% से बढ़ाकर 0.50% की थी। इसके बाद फरवरी और मार्च में ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया है।

क्या बोला बैंक ऑफ जापान?

अपने बयान में बैंक ऑफ जापान ने कहा कि वो अभी फिलहाल वेट एंड वॉच की रणनीति के साथ चल रहा है। वो देखना चाहता है कि अमेरिकी राष्ट्रपति के प्रस्तावित टैरिफ का जापान के निर्यात और उसकी अर्थव्यवस्था पर क्या असर पड़ेगा। जापान के केंद्रीय बैंक ने कहा कि बाजार में ट्रंप टैरिफ को लेकर काफी अनिश्चितता बना हुई है। अगर टैरिफ लगता है तो उसका असर जापान की अर्थव्यवस्था और महँगाई दोनों पर पड़ सकता है। केंद्रीय बैंक ने ये भी इशारा किया है कि अगर अर्थव्यवस्था और महँगाई अनुमान के मुताबिक रहती है, तो आने वाले महीनों में ब्याज दरें फिर से बढ़ायी जा सकती हैं।

जापान में बढ़ेगी महँगाई?

अपने बयान में बैंक ऑफ जापान ने कहा कि देश में महँगाई दर थोड़ी बढ़ी है लेकिन अभी स्थिति काबू में है। हालाँकि अमेरिका और चीन की व्यापारिक नीतियों का असर जापानी अर्थव्यवस्था पर पड़ सकता है। वहीं विदेशी मुद्रा बाजार में जो उतार-चढ़ाव देखने को मिल रहा है उसका असर भी महँगाई पर पड़ सकता है। उससे भी महँगाई बढ़ने की आशंका बनी हुई है। अर्थव्यवस्था में आय और खर्च का दुश्चक्र मजबूत हो रहा है, जिससे महँगाई दर काबू में रह सकती है। लेकिन तमाम कोशिशों के बाद भी वित्त वर्ष 2024-25 में जापान में चावल के दाम ज्यादा बने रहने की अशंका है। बैंक ऑफ जापान ने कहा कि इन हालात को देखते हुए वित्तीय और विदेशी मुद्रा बाजार दोनों पर नजर रखने की जरूरत है।

टैरिफ का पड़ेगा असर?

अमेरिका ने हाल ही में स्टील और एल्युमिनियम के इंपोर्ट पर 25% का शुल्क लगाया है, यानी जो भी स्टील और एल्युमिनियम अमेरिका आयात करेगा उसे पर 25% का शुल्क लगेगा। इसके अलावा 2 अप्रैल से अमेरिका पारस्परिक शुल्क भी लगायेगा, यानी जो अमेरिकी सामानों पर जितना टैरिफ लगाएगा अमेरिका भी उन देशों के सामानों पर उतना ही टैरिफ अपने यहाँ लगायेगा। ट्रंप प्रशासन की 2 अप्रैल से ऑटोमोबाइल और दूसरे सामानों पर भी शुल्क लगाने की योजना है। इन सब से दुनिया इस बात के लिए तो परेशान है कि इस शुल्क युद्ध का असर उनके देश पर क्या होगा। साथ ही इस बात की भी चिंता सभी को सता रही है कि ट्रंप ट्रैरिफ से कही खुद अमेरिका में ही महँगाई न बढ़ जाये और वो मंदी की चपेट में आ जाये। अगर ऐसा होता है कि जापान की निर्यात आधारित अर्थव्यवस्था को नुकसान हो सकता है।

भारत पर भी होगा असर?

भारत भी वैश्विक अर्थव्यवस्था का हिस्सा है, लिहाजा ट्रंप टैरिफ का असर भारतीय अर्थव्यवस्था पर भी पड़ने की पूरी पूरी संभावना है। हो सकता है कि विदेशी निवेशकों का मूड एक बार फिर बदल जाए। वहीं जापानी येन और डॉलर में हलचल का सीधा असर भारतीय रुपये पर पड़ सकता है। इससे विदेशी मुद्रा बाजार में अस्थिरता देखी जा सकती है।

(शेयर मंथन, 20 मार्च 2025)

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