सेबी ने एफपीआई के लिए ग्रैन्युलर ओनरशिप डिस्क्लोजर की सीमा बढ़ा कर 50,000 करोड़ की

कुछ ही दिनों पहले सेबी प्रमुख तुहिन कांत पांडे ने एक कार्यक्रम में विदेशी निवेशकों के मुद्दे पर कहा कि था शेयर बाजार में विदेशी निवेशकों भागीदारी बेहद अहम है। बोर्ड की उनकी परेशानी को दूर करने की कोशिश करेगा। उनकी इस बात पर अमल करते हुए सेबी के बोर्ड ने विदेशी निवेशकों के लिए ग्रैन्युलर ओनरशिप डिस्क्लोजर की सीमा बढ़ा दी है।

विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों को मिलेगी राहत?

भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के अध्यक्ष के तौर पर तुहिन कांत पांडे ने अपनी पहली बैठक में ही बड़ा फैसला लिया है। उन्होंने विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) के इक्विटी एयूएम डिस्क्लोजर की सीमा को 25,000 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 50,000 करोड़ रुपये कर दिया है। विदेशी निवेशकों को निवेश के मालिकाना हक से जुड़ी अतिरिक्त जानकारी 25000 करोड़ रुपये पर देनी पड़ती थी वो अब 50000 करोड़ के निवेश पर देनी होगी। सेबी का मानना है कि इस पहल से बाजार में पारदर्शिता बढ़ेगी और निवेशकों पर बोझ भी कम होगा।

अगस्त 2023 में सेबी ने एक सर्कुलर जारी किया था। इसमें ये प्रावधान किया गया था कि अगर कोई एफपीआई किसी एक कॉर्पोरेट समूह में 50% से अधिक निवेश करता है, तो उसे अतिरिक्त खुलासा करना होगा। हालाँकि सेबी का कहना है कि ये नियम अब भी बदले नहीं है। उसकी दलील है कि वो अपने फैसले से ये सुनिश्चित करना चाहता है कि न्यूनतम सार्वजनिक शेयरधारिता और अधिग्रहण के नियमों से कोई भी बचने की कोशिश न करे और अगर करे तो वो पकड़ा जाये।

पीएमएलए नियमों का पालन जरूरी

अपनी पहली बैठक के बाद मौजूदा सेबी प्रमुख ने प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (पीएमएलए) की बाध्यता को एक बार फिर दोहराया। उन्होंने कहा कि विदेशी निवेशकों के लिए लिए भी पीएमएलए के प्रावधानों का पालन करना बेहद जरूरी है। उन्होंने कहा कि केवाईसी और पीएमएलए से जुड़े सभी प्रावधान पहले की ही तरह लागू और जरूरी बने रहेंगे। सेबी ने ये कदम 2022-23 से कैश इक्विटी मार्केट में ट्रेडिंग वॉल्यूम में आयी बढ़ोतरी को देखते हुए उठाया है ताकि अधिक पारदर्शिता और निवेशकों की निगरानी सुनिश्चित की जा सके।

नहीं होगा हितों का टकराव

अपनी पहली ही बैठक में तुहिन कांता पांडे ने कई मुद्दों को सुलझाने कि कोशिश की है। उन्होंने बोर्ड के सदस्यों और अधिकारियों के बिच हितों का टकराव न हो इसके लिए भी अहम फैसले लिए हैं। हितों का टकराव न हो, संपत्ति, निवेश और देनदारियों की पारदर्शिता बढ़ाने के लिए उन्होंने एक उच्च स्तरीय समिति बनाने का फैसला किया है। इस समिति में संवैधानिक, वैधानिक और नियामकी संस्थाओं के साथ-साथ सरकारी, निजी और शिक्षण संस्थानों से जुड़े जानकार भी शामिल किये जायेंगे। समिति 3 महीनों में अपनी सिफारिशें सेबी को पेश करेगी जिस पर अंतिम फैसला लिया जायेगा।

(शेयर मंथन, 25 मार्च 2025)

(आप भी किसी शेयर, म्यूचुअल फंड, कमोडिटी आदि के बारे में जानकारों की सलाह पाना चाहते हैं, तो सवाल भेजने का तरीका बहुत आसान है! बस, हमारे व्हाट्सऐप्प नंबर +911147529834 पर अपने नाम और शहर के नाम के साथ अपना सवाल भेज दें।)