
पीजीआईएम म्यूचुअल फंड के हेड फिक्स इनकम पुनीत पाल ने वित्त वर्ष 2025-26 की पहली मौद्रिक नीति में आरबीआई के रुख को नरम, लेकिन विकास पर ध्यान देने वाला बताया है। मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने नीतिगत दरों में 25 आधार अंक (बीपीएस) की कटौती करने की घोषणा की, जिसकी बाजार को पहले से उम्मीद थी। साथ ही उसने मौद्रिक नीति पर अपने रुख को सतर्क से उदार भी किया, जिसका बाजार ने अनुमान नहीं लगाया था और ये बाजार के लिए सुखद आश्चर्य की तरह आया। नीतिगत दरें घटाने और रुख को उदार में बदलने का फैसला एमपीसी ने सर्वसम्मति से लिया।
एमपीसी ने जीडीपी वृद्धि और मुद्रास्फीति दोनों के अनुमान में 20 आधार अंकों की कमी करते हुए इन्हें क्रमश: 6.50% और 4.00% कर दिया। यह पूर्वानुमान वित्त वर्ष 2025-26 के लिए जारी मौद्रिक नीति रिपोर्ट (अप्रैल 2025) में निर्धारित मान्यताओं पर है, जिसमें कच्चे तेल के औसत दाम 70 अमेरिकी डॉलर प्रति बीबीएल, अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये का औसत मूल्य 86.00 रुपये और वैश्विक जीडीपी वृद्धि 3.1% रहने का अनुमान जताया गया है। आरबीआई गवर्नर एनडीटील के लगभग 1% के बराबर पर्याप्त तरलता उपलब्ध कराने पर भी बोले, जिसका अर्थ है कि अगर एलएएफ तरलता निरंतर 1.50 लाख करोड़ के ऊपर अधिशेष रहती है तो एसडीएफ दर (5.75%) परिचालन दर बन सकती है।
एमपीसी के वक्तव्य में अपने फैसलों के लिए तर्क देते हुए कहा गया कि ''वर्तमान में मुद्रास्फीति लक्ष्य से नीचे है, इसे खाद्य महँगाई में तीव्र गिरावट से समर्थन मिला है। इसके अलावा मुद्रास्फीति के दृष्टिकाेण में भी सुधार हुआ है। अनुमानों के मुताबिक अब 12 महीने की अवधि में 4% के लक्ष्य के साथ हेडलाइन मुद्रास्फीति के टिकाऊ एकत्रीकरण का अधिक विश्वास है।'' मुद्रास्फीति पर स्पष्ट ध्यान देने की भाषा को छोड़ दिया गया है।
वक्तव्य में विकास पर कहा गया, ''चुनौतीपूर्ण वैश्विक वातावरण होने के बावजूद 2024-25 की पहली छमाही में निराशाजनक प्रदर्शन के बाद विकास अब भी वापसी के पथ पर है। जहाँ वृद्धि के आधारभूत अनुमानों के आसपास जोखिम संंतुलित है, लेकिन वैश्विक अस्थिरता में हाल ही में आयी तेजी को देखते हुए अनिश्चितता अधिक बनी हुई है। ऐसे चुनौतीपूर्ण वैश्विक आर्थिक हालात में अनुकूल मुद्रास्फीति और नरम विकास दृष्टिकोण एमपीसी से वृद्धि का समर्थन जारी रखने की माँग करता है।''
हमारा मानना है कि महँगाई के लिए कम चिंता के साथ विकास के लिए आरबीआई की तरफ से स्पष्ट समर्थन है। व्यापार टैरिफ में बढ़ती वैश्विक अनिश्चितताओं और घरेलू विकास में मंदी को देखते हुए वृद्धि में जोखिम नीचे की ओर है और हम मानते हैं कि मौद्रिक नीति विकास को समर्थन देने में सक्रिय रोल निभायेगी, जिससे किसी वैश्विक झटके को छोड़कर ज्यादा गहरे और दरों में अग्रिम कटौती के लिए गुंजाइश बन रही है।
बाजार की प्रतिक्रिया
अमेरिकी बॉन्ड ईल्ड में एक रात में तेज उछाल के बाद दिन की शुरुआत में बॉन्ड ईल्ड में बिकवाली देखी गयी, लेकिन एमपीसी की बैठक के बाद इसे समर्थन मिला क्योंकि मौद्रिक नीति स्पष्ट रूप से नरम थी। मानक 10 साल के बॉन्ड ईल्ड ने दिन का समापन एकदिनी उच्च स्तर से 10 आधार अंक (बीपीएस) नीचे और पिछले दिन के बंद से 3 बीपीएस कम 6.44% पर किया। हमारा मानना है कि अगर अमेरिकी बॉन्ड ईल्ड में जोरदार तेजी नहीं होती, तो ईल्ड में ज्यादा गिरावट आती।
पर्याप्त तरलता (एनडीटीएल के 1%) उपलब्ध कराने पर आरबीआई गवर्नर के स्पष्ट संदेश का अर्थ है कि मौद्रिक नीति का प्रसार सही दिशा में होगा और मुद्रा बाजार का वक्र नीचे तरफ जाना जारी रखेगा, जैसा हम पिछले महीने के दौरान देख चुके हैं। ईल्ड पूरे वक्र में कम था और दरों में ज्यादा गहरे और अग्रिम कटौती की बढ़ती अप्रक्षाओं के साथ वक्र तीव्र हो गया। ओआईएस वक्र भी तीव्र झुकाव के साथ नीचे की तरफ खिसक गया, क्योंकि 1 वर्षीय ओआईएस 6 बीपीएस नीचे था जबकि 5 साल का ओआईएस 2 ओआईएस तक कम था।
हमारा नजरिया : किसी वैश्विक झटके को छोड़कर दरों में कटौती जारी रहेगी।
हम सोचते हैं कि आज की नीति विकास के लिए महत्वपूर्ण जोखिम लेने और सक्रिय मौद्रिक नीति के जरिये वृद्धि का समर्थन करने की जरूरत के लिए मंजूरी है। आरबीआई बीते कुछ महीनों से ओएमओ खरीद और एफएक्स विनिमय के जरिये तरलता बढ़ाने में आक्रामक रहा है। इस साल के आरंभ से वक्र तीव्र हुआ है, जैसा कि 10 साल और 30 साल के बीच स्प्रेड में वृद्धि के रूप में देखा जा सकता है।
कैलेंडर वर्ष 2025 की शुरुआत के बाद से 10 साल की ईल्ड में 32 बीपीएस टूट गया है, जबकि 40 साल का ईल्ड 14 बीपीएस तक नीचे आ गया है और हमारा मानना है कि वक्र का बढ़ना जारी रहेगा, खासतौर से अब जब दरों में अग्रिम रूप से और कटौती की उम्मीद बढ़ गयी है।
अमेरिकी डॉलर वायदा बाजार में 89 अरब तक (फरवरी के अंत तक) आरबीआई की शॉर्ट पोजीशन और भलीभाँति ज्ञात वैश्विक अनिश्चितता और अस्थिरता के रूप में जोखिम बना हुआ है। हमारा मानना है कि किसी वैश्विक झटके की गैर-मौजूदगी में, आरबीआई दरों को क्रमागत तौर से 50-75 बीपीएस घटाता रहेगा साथ ही मौद्रिक प्रसार के लिए पर्याप्त तरलता उपलब्ध कराता रहेगा। हमें उम्मीद है कि प्रतिफल वक्र में क्रमिक तौर से बढ़त जारी रहेगी और अगले 6 महीनों के दौरान 10 वर्षीय बॉन्ड प्रतिफल 6% तक कम हो जायेगा, हालाँकि वैश्विक बाजार में अस्थिरता को देखते हुए यह यात्रा आसान नहीं होगी।
मध्यम से लंबी अवधि की निवेश योजना वाले निवेशक प्रमुख सोवरेन होल्डिंग के साथ 6-7 साल की अवधि वाले फंड पर विचार कर सकते हैं क्योंकि वे बेहतर जोखिम-प्रतिफल प्रदान करते हैं। 6-12 महीने के निवेश दृष्टिकोण वाले निवेशक मुद्रा बाजार फंडों को देख सकते हैं, क्योंकि 1 साल के वक्र खंड में ईल्ड आकर्षक है।
(शेयर मंथन, 10 अप्रैल 2025)
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