Repo Rate Cut: आरबीआई ने अपनाया उदार रुख, नीतिगत दरों में आगे कटौती का रास्ता भी खोला

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर संजय मलहोत्रा केंद्रीय बैंक का पदभार सँभालने के बाद से ही देश को संभावित जियोपॉलिटिकल खतरों से बचाने की कोशिश में लगे हुए हैं। आरबीआई ने लागातार दूसरी बार ब्याज दरों में 0.25% की कटौती की है। अब रेपो रेट 6.25% से घटकर 6% हो गई है। इसके अलावा, आरबाआई ने अपना रुख तटस्थ से बदलकर उदार करने का फैसला किया। हालाँकि, इस बार बाजार दरों कटौती की उम्मीद कर रहा था। कयास लगाये जा रहे हैं कि दरें घटी हैं तो लोन की ईएमआई भी घटेगी।

क्या बोले आरबीआई गवर्नर?

आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा कि कमिटी ने अपने रुख में बदलाव करते हुए इसे न्यूट्रल से बदलकर अकोमोडेटिव करने का फैसला किया। उन्होंने कहा कि आने वाले समय में या तो हम दरों में कोई बदलाव नहीं करेंगे या फिर दरें घटेंगी। जानकार उनके इस बयान को संकेत के रूप में देख रहे हैं। संकेत इस बात के कि आरबाई आने वाले दिनों में भी ब्याज दरों में कटौती जारी रख सकता है। हालाँकि, उन्होंने ये भी साफ तौर कहा कि रुख का सीधा संबंध तरलता से नहीं होगा।

रुख में बदलाव पर बोले संजय मल्होत्रा

रुख को न्यूट्रल से अकोमोडेटिव करने पर संजय मल्होत्रा ने कहा कि उनका उद्देश्य देश की अर्थव्यवस्था को मजबूती देना है। इसलिए वो दरों में लगातार कटौती कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि मौजूदा हालात में अगर दरें बढ़ती हैं तो सरकार के बजट में किये गये ऐलानों का फायदा लोगों को नहीं मिलेगा। सरकार भी चाहती है कि देश में तरलता बढ़े। लोगों के हाथ में ज्यादा पैसे आयें। ज्यादा पैसे होंगे तो वो लौटकर देश की अर्थव्यवस्था में ही आयेंगे। ये एक साइकिल कि तरह है। ये छोटे-छोटे कदम ही देश की अर्थव्यवस्था को बदल देने के लिए काफी हैं और ऐसा हो भी रहा है।

रेपो रेट घटा, क्या बदलेगा?

अगर आपने कोई भी लोन जैसे होम, ऑटो, पर्सनल वगैरह ले रखा है तो उसकी ब्याज दरों में कटौती हो जायेगी। ऐसे में आपके पास दो वकल्प होंगे। या तो आप अपनी अवधि में बिना बदलाव किये ईएमआई की रकम को कम करवा सकते हैं या फिर ईएमआई में बिना बदलाव लोन कि मियाद को कम करवा सकते हैं। वहीं ब्याज दरों में कटौती का सबसे बड़ा फायदा रियल एस्टेट सेक्टर को मिलेगा, क्योंकि इससे होम लोन कि दर कम होगी जिससे माँग बढ़ने की उम्मीद बढ़ेगी।

क्या है रेपो रेट?

आरबीआई भी बैंक है। ये भी लोन देता और ब्याज कमाता है। बस फर्क इतना होता है कि इससे लोन बैंक लेते हैं हम और आप नहीं। अब बात रेपो रेट की, तो आरबीआई जिस दर पर बैंकों को लोन देता है उसे रेपो रेट कहते हैं। इससे बैंकों को भी हमारे और आपके तरह फायदा मिलता है। दरें घटेंगी तो लोन भी सस्ता मिलेगा। जिसे ये अपने ग्राहकों को देकर ब्याज कमा सकते हैं। ब्याज दरों में कटौती इस बात का इशारा भी होता है कि बैंक भी ब्याज दरों में कटौती करेंगे। लेकिन अफसोस की बात ये होती है कि बैंक अक्सर ऐसा करने में काफी देर कर देते हैं जिसका खामियाजा बैंक के ग्राहकों को उठाना पड़ता है, बैंक को नहीं।

रेपो रेट बढ़ता और घटता क्यों है?

किसी भी देश के सेंट्रल बैंक के पास महँगाई से लड़ने का सबसे कारगर हथियार ब्याज दरें होती है। महँगाई घटानी होती है और अर्थव्यवस्था में लिक्विडिटी लानी होती है तो सेंट्रल बैंक ब्याज दरों में कटौती करते हैं। वहीं, जब महँगाई ज्यादा होती है या फिर बढ़ रही होती है तो उसे काबू करने के लिए केंद्रीय बैंक नीतिगत दरें बढ़ाकर अर्थव्यवस्था में तरलता को कम करने की कोशिश करता है।

पॉलिसी की दर ज्यादा होगी तो आरबाआई से बैंकों को मिलने वाला कर्ज महँगा होगा, यानी बैंक भी लोन ज्यादा दर पर देंगे। यानी कर्ज महँगा होगा, जिससे अर्थव्यवस्था में पैसों का प्रवाह घटेगा। लोग हाथ खींच कर खर्च करेंगे। जब ऐसा होगा तो माँग घटेगी और महँगाई भी।

अब कब होगी अगली बैठक?

आरबीआई की ये मौद्रिक नीति की बैठक हर दो महीने में 3 दिनों के लिए होती है। आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) में 6 सदस्य होते हैं। इनमें से 3 केंद्रीय बैंक के होते हैं, जबकि अन्य केंद्र सरकार के चुने हुए लोग होते हैं। इस के बाद आरबाई ब्याज दरों पर अपना फैसला सुनाता है। पिछले 2 बार से तो दरें घट रही हैं। जानकार मान रहे हैं कि ये कटौती आग भी जारी रहने की पूरी गुंजाइश है।

आरबीआई की एमपीसी की आगे होने वाली बैठकें

4-6 जून 2025

5-7 अगस्त 2025

29 सितंबर - 1 अक्टूबर 2025

3-5 दिसंबर 2025

4-6 फरवरी 2026

(शेयर मंथन, 17 अप्रैल 2025)

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