सोने में रिकॉर्ड तेजी कायम, जानिये कौन से कारण बढ़ा रहे हैं पीली धातु की चमक

सोने की तेजी थमने का नाम नहीं ले रही है। सोना लगातार नई ऊँचाइयाँ छू रहा है। इस तेजी का कुछ को फायदा हो रहा है तो कुछ को नुकसान। फायदा उन्हें है जिन्होंने गिरावट के किसी भी स्तर पर सोने में निवेश किया था और नुकसान उन्हें है जो सोना खरीद और बेच रहे हैं, क्योंकि कीमतें रिकॉर्ड ऊँचाई पर हैं तो बाजार से खरीदार गायब हैं।

लोग दाम गिरने का इंतजार कर रहे हैं। जो आ भी रहे हैं वो पुराना सोना लेकर। वो उन्हें बेच नहीं रहे बल्कि उसके बदले में नया लेकर जा रहे हैं। यानी वो गोल्ड एक्सचेंज कर रहे हैं। वहीं, जो सोना खरीद भी रहे हैं वो भी मजबूरी में क्योंकि उनके यहाँ शादी है।

6 साल में दाम दो गुना

अगर सिर्फ कीमतों में तेजी की बात करें तो सोने के दाम सिर्फ 2025 में अब तक 25% तक चढ़ चुके हैं। वहीं, सिर्फ अप्रैल में सोना 6 बार रिकॉर्ड ऊँचाई पर पहुँच चुका है। और बीते 6 साल से भी कम समय में कीमतें दो गुनी हो चुकी हैं।

सोने की चाल

2025 +25%

2024 +28%

2023 +15%

अप्रैल में सोना

तारीख रुपये/10 ग्राम

1 अप्रैल 91400

3 अप्रैल 91423

10 अप्रैल 92400

11 अप्रैल 93940

16 अप्रैल 95435

17 अप्रैल 95935

सोने के 5 साल बेमिसाल

साल रुपये/10 ग्राम

2021 51875

2022 55558

2023 64460

2024 74731

2025 95935

लेकिन सवाल ये है कि जब टैरिफ के मुद्दे पर अमेरिका और चीन बातचीत के लिए तैयार हो गए हैं, बाकी के देश भी अमेरिका से बात कर रहे हैं और ट्रंप ने भी चीन को छोड़ सभी देशों पर टैरिफ को 90 दिनों के टाल दिया है तब भी कीमतें 7वें आसमान पर क्यों पहुँच रही हैं। एक सवाल ये भी है कि क्या सिर्फ ट्रंप टैरिफ ही सोने की तेजी के पीछे है या फिर कुछ  और कारण हैं जिनका सहारा लेकर सोना चढ़े जा रहा है। चलिये समझने की कोशिश करते हैं।

1- ट्रंप और ट्रंप टैरिफ

सोने की तेजी के पीछे ट्रंप टैरिफ एक बड़ा कारण है। भले ही अमेरिका और चीन इसे लेकर बातचीत को तैयार हो गये हैं लेकिन इस वार्ता के होने पर अब भी संशय बरकरार है, क्योंकि ट्रंप का अगला कदम क्या होगा ये उनके साथ काम करने वाले भी सही सही नहीं बता सकते। हाँ अंदाजा जरूर लगा सकते हैं। इन्हीं चीजों को लेकर बाजार में अनिश्चितता है। ये दुविधा ही सोने को चढ़ाने का काम कर रही है।

2- डॉलर की कमजोरी
सोने की तेजी का दूसरा सबसे बड़ा कारण है डॉलर में लगातार आ रही है गिरावट। भले ही ट्रंप डॉलर को कमजोर कर अपने देश का व्यापार घाटा कम करना चाहते हैं लेकिन इसका फायदा सीधे-सीधे सोने को मिल रहा है। निवेशक सोने में निवेश बढ़ा रहे हैं, लिहाजा सोना चढ़ रहा है।

3- सेंट्रल बैंकों की खरीद

बाजार की अनिश्चितता को देखते हुए दुनिया के कई देशों के सेंट्रल बैंक जम कर सोना खरीद रहे हैं। इसमें चीन भी है और भारत भी। पहले ये अनिश्चितता रूस और यूक्रेन युद्ध के कारण थी, फिर इजरायल और हमास के बीच छिड़े युद्ध के कारण हुई और अब ये ट्रंप टैरिफ के कारण है। वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल के आँकड़े बताते हैं कि कि साल 2024 में दुनिया के तमाम सेंट्रल बैंकों ने कुल मिलाकर 1045 टन सोना खरीदा था। अगर सिर्फ भारत के सेंट्रल बैंक यानी आरबीआई की बात करें तो उसने भी 2024 में 72.6 टन और 2025 में फरवरी तक 2.80 टन सोना खरीदा है।

आरबीआई ने खरीदा सोना

साल टन

2021 77.5

2022 33.3

2023 16.2

2024 72.6

2025( फरवरी तक) 2.80

4) अमेरिका में मंदी की आशंका

ट्रंप टैरिफ के कारण बाजार अमेरिका में मंदी की आशंका जता रहा है। अमेरिकी फेड के प्रमुख जेरोम पॉवेल भी अपने भाषण में कह चुके हैं कि ट्रंप टैरिफ अमेरिकी अर्थव्यवस्था के लिए अच्छा नहीं है। उनका मानना है कि इससे अमेरिकी अर्थव्यवस्था में महँगाई बढ़ेगी जिससे उनकी अब तक की मेहनत पर पानी फिर सकता है।

5) गोल्ड ईटीएफ में बढ़ा निवेश

सोने की तेजी को गोल्ड ईटीएफ की बढ़ती माँग से भी सपोर्ट मिल रहा है और गोल्ड ईटीएफ को सोने की तेजी से। आलम ये है कि बीते 1 साल में गोल्ड ईटीएफ की माँग करीब 16% की दर से बढ़ी है और 305.3 टन सोने में निवेश हुआ है। गोल्ड ईटीएफ की सबसे ज्यादा माँग चीन में देखने को मिल रही है क्योंकि चीनी सरकार ने वहाँ की बीमा कंपनियों को इसमें अपना निवेश बढ़ाने के लिए कहा है।

हालाँकि सोने के मुकाबले चाँदी में उतनी तेजी देखने को नहीं मिली है। एक समय 1 लाख के ऊपर कारोबार करने वाली चाँदी आज सोने की तेजी के सामने फीकी पड़ती दिखायी दे रही है। लेकिन सोना-चाँदी अनुपात कुछ दूसरी ही कहानी बयां कर रहा है। इस समय सोना-चाँदी अनुपात 100 के ऊपर है। इतिहास में ऐसा सिर्फ दो बार हुआ है जब से सैंकड़े के ऊपर रहा है। पहला था कोरोना काल में और दूसरा अभी है। अगर सोना-चाँदी अनुपात 100 से ऊपर है तो इसका मतलब ये है कि सोना महँगा और चाँदी सस्ती है। यानी अगर निवेश करना है तो लंबी अवधि के लिए सोने में नहीं चांदी में निवेश करें क्योंकि बाजार मान रहा है कि अगर अमेरिका और चीन के बीच समझौता हो गया तो सोना 2700-2800 डॉलर तक गिरेगा, लेकिन चाँदी बढ़ेगी।

(शेयर मंथन, 19 अप्रैल 2025)

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