
हाल ही में ऐसी खबरें आ रही थीं कि सरकार 2,000 रुपये से ज्यादा के यूपीआई लेनदेन पर जीएसटी लगाने पर विचार कर रही है। इसके बाद से ही लोगों में असमंजस की स्थिति थी और वे सोचने लगे थे कि यूपीआई पेमेंट महँगा हो जायेगा। हालाँकि, अब इन अटकलों पर सरकार की तरफ से बयान आया है। सरकार ने साफ किया है कि 2000 रुपये से अधिक के यूपीआई लेनदेन पर जीएसटी लगाने की ऐसी कोई योजना नहीं है।
नहीं लगेगा जीएसटी
वित्त मंत्रालय ने अपने स्पष्टीकरण में कहा है कि ये खबरें गलत हैं और सरकार यूपीआई के जरिये डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है। सरकार यूपीआई पेमेंट पर किसी तरह का जीएसटी चार्ज लगाने पर कोई विचार नहीं कर रही है।
मंत्रालय ने मीडिया में चल रही खबरों पर कहा कि फिलहाल सरकार के समक्ष ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं है। इसका मतलब है कि अभी यूपीआई से पेमेंट करने पर कोई जीएसटी नहीं लगेगा। जीएसटी कुछ खास तरह के शुल्कों पर लगता है, जिसमें मर्चेंट डिस्काउंट रेट (एमडीआर) शामिल है। एमडीआर वह शुल्क होता है जो व्यापारी बैंक को पेमेंट करने पर देता है।
सीबीडीटी ने जनवरी 2020 से ग्राहक से व्यापारी के बीच यूपीआई लेनदेन पर एमडीआर हटा दिया था। मंत्रालय का कहना है कि यूपीआई लेनदेन पर कोई एमडीआर नहीं लगाया जाता है, लिहाजा ऐसे लेनदेन पर कोई जीएसटी नहीं लगाया जा रहा है।
डिजिटल भुगतान बढ़ा
बता दें कि पिछले कुछ सालों में डिजिटल भुगतान का सिलसिला तेजी से बढ़ा है। हर कोई यूपीआई के जरिये पेमेंट करना चाहता है। लोग कैश के बजाय यूपीआई से पेमेंट करना ज्यादा पसंद करते हैं, क्योंकि यह आसान भी है और सुरक्षित भी है। एक आँकड़े के मुताबिक, वित्त वर्ष 2019-20 में लेनदेन 21.3 लाख करोड़ रुपये था, जो मार्च 2025 तक बढ़कर 260.56 लाख करोड़ रुपये हो गया। सरकार भी लगातार डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा देती रही है। इसलिये ही सरकार ने साफ किया है कि यूपीआई लेनदेन पर किसी तरह का जीएसटी नहीं लगाया जायेगा।
(शेयर मंथन, 21 अप्रैल 2025)
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