
सेबी ने म्यूचुअल फंड की रियल एस्टेट इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट और इन्फ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट में निवेश की सीमा को बढ़ाने का प्रस्ताव दिया है। नियामक की दलील है कि इससे निवेशकों को ज्यादा विविधता और बेहतर रिटर्न मिलेगा। सेबी ने इस पर इंडस्ट्री से उनकी राय माँगी है।
अभी की स्थिति क्या है?
अभी नियम कहते हैं कि कोई भी म्यूचुअल फंड स्कीम अपने नेट एसेट वैल्यू का अधिकतम 10% रियल एस्टेट इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट और इन्फ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट में लगा सकती है। इसमें भी किसी एक रियल एस्टेट इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट या इन्फ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट में केवल 5% तक ही निवेश किया जा सकता है।
क्या है सेबी का प्रस्ताव?
1) इक्विटी और हाइब्रिड स्कीमों के लिए एक ही रियल एस्टेट इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट या इन्फ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट में निवेश की सीमा को 5% से बढ़ाकर 10% किया जाए।
2) कुल मिलाकर रियल एस्टेट इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट और इन्फ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट में निवेश की सीमा को 20% तक बढ़ाया जाए।
3) हालाँकि डेट स्कीमों के लिए निवेश सीमा 10% ही बनी रहेगी ।
इसका क्या होगा असर?
सेबी का ये प्रस्ताव अगर लागू हुआ तो -
1) म्यूचुअल फंड निवेशकों को ज्यादा रिटर्न मिलने की संभावना बढ़ेगी।
2) रियल एस्टेट इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट और इन्फ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट को ज्यादा लोकप्रियता मिलेगी।
3) निवेशकों को स्थिर कैश फ्लो और लंबी अवधि में पूंजी बनाने का मौका मिलेगा।
दुनिया में क्या है चलन?
दुनियाभर में रियल एस्टेट इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट और इन्फ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट को इक्विटी इस्ट्रूमेंट ही माना जाता है। और ये एमएससीआई इंडिया स्मॉल कैप इंडेक्स और एफटीएसई इंडिया इंडेक्स में भी शामिल है। हालाँकि भारत में इसकी पहचान अब भी हाइब्रिड इंस्ट्रूमेंट की तरह ही होती है, क्योंकि इसका कैशफ्लो पैटर्न और वैलूएशन की प्रक्रिया थोड़ी मुश्किल होती है।
अभी भारत में स्थिति कैसी है?
31 दिसंबर 2024 तक म्यूचुअल फंड्स ने रियल एस्टेट इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट और इन्फ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट में कुल 20,087 करोड़ रुपये का निवेश किया था। औसतन:
• इक्विटी स्कीमों में 2.1%
• डेट स्कीमों में 3.7%
• हाइब्रिड स्कीमों में 2.4% निवेश था।
• भारत में फिलहाल 4 रियल एस्टेट इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट और 17 इन्फ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट लिस्टेड हैं, लेकिन इनमें से कई में बहुत कम ट्रेडिंग होती है ।.
अगर ये प्रस्ताव लागू होता है, तो भारत में रियल एस्टेट और इन्फ्रास्ट्रक्चर जैसे क्षेत्रों में म्यूचुअल फंड्स की भागीदारी बढ़ सकती है।
(शेयर मंथन, 22 अप्रैल 2025)
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