नोमूरा का अनुमान, 2025 के अंत तक मजबूत होगा रुपया और 84 रुपये प्रति डॉलर होगा भाव

डॉलर कमजोर हो रहा है और रुपया मजबूत। बड़ी बात ये है कि आने वाले समय में ये मजबूती बढ़ेगी। यानी डॉलर के मुकाबले रुपया और मजबूत होगा। इसी पर नोमूरा ने एक रिपोर्ट निकाली है। इसमें ब्रोकरेज फर्म ने कहा है कि डॉलर इंडेक्स की कमजोरी और मजबूत इनफ्लो के चलते इस साल यानी 2025 में रुपये की मजबूती बढ़ सकती है।

क्या कहती है नोमूरा की रिपोर्ट?

नोमूरा ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि दुनिया में अनिश्चितता का माहौल है। ये बढ़ रही है। क्या कारण हैं सब जानते हैं। लेकिन इसकी वजह से रुपया मजबूत और डॉलर कमजोर हो रहा है। आगे भी ये सिलसिला जारी रहेगा। कम से कम 2025 तक तो हालात बदलते नहीं दिखाई देते और डॉलर के मुकाबले रुपया 84 के आसपास तक पहुँच सकता है।

क्यों कमजोर हो रहा था रुपया?

बाजार में सबका मालिक एक मतलब विदेशी निवेशक। बाजार गिरेगा या चढ़ेगा सब इन पर निर्भर करता है। बीते दिनों सबने देखा शेयर बाजार महीनों से गिर रहा था। गिराने वाले यही विदेशी निवेशक थे। बाजार को गिराया तो रुपया कब तक बचता, वो भी लपेटे में आ गया। रुपये के लिए शेयर बाजार की बिकवाली और ज्यादा गिरावट लेकर आयी। इसी साल फरवरी में डॉलर के मुकाबले रुपया 87.92 के रिकॉर्ड निचले स्तरों तक जा पहुँचा। आरबीआई ने भी खूब हाथ पैर मारे, असर भी हुआ लेकिन रुपया फिर भी गिरा। और अब धीरे-धीरे बाजार में खरीदारी लौट रही है। जो विदेशी निवेशक बाजार को छोड़ कर जा रहे थे, वो लौटने लगे हैं। शेयर बाजार में निवेश करने लगे हैं, जिसको सहारा बनाकर रुपया भी चढ़ने लगा है और आज बात 84 के स्तर तक पहुँचने की हो रही है। देखने में आपको लगेगा कि ये तो बस 3-4 रुपये की ही तो बात है। लेकिन 3-4 रुपये का ये रास्ता कितना लंबा है ये इतनी आसानी से नहीं समझाया जा सकता।

रुपये में क्यों और कैसे लौटेगी मजबूती?

वैश्विक अनिश्चितता के माहौल में जिस तरीके से भारतीय बाजार चढ़ा है या कहें कि चढ़ रहा है, लोग उसकी सराहना कर रहे हैं। कह रहे हैं कि भारतीय बाजार में दम है। उनके मुताबिक उभरती अर्थव्यवस्थाओं में भारत निवेश के लिए निवेशकों की पहली पसंद बन सकता है। जानकार ये भी कहते हैं कि पिछले साल विदेशी निवेशकों ने भारतीय बाजार में जम कर बिकवाली की थी। अब जब हालात सुधर रहे हैं तो पैसा लगाना भी है। कहाँ लगायें, ट्रंप टैरिफ के इस अनिश्चितता भरे माहौल में जब दुनिया के तमाम बाजार नतमस्तक हो रहे हैं, तब सिर्फ एक भारतीय बाजार ही है जो सिर उठाकर खड़े होने की कोशिश कर रहा है। यानी विदेशी निवेशकों के पास भारत लौटने के अलावा दूसरा कोई और रास्ता नहीं है। और वो लौट भी रहे हैं। जब बाजार गिर रहे थे तो रुपया गिरा था इसलिए जब बाजार चढ़ेंगे तो वो भी तो उठेगा।

आरबीआई की भर रही झोली?

नोमुरा कि रिपोर्ट कहती है इस साल दिसंबर तक डॉलर के मुकबाले रुपया 84 के आस पास पहुँच जायेगा। चूँकि, रुपये की स्थिति सँभालने के लिए आरबीआई ने खूब हाथ पैर मारे।थे, तो आज जो अनुमान आ रहे हैं उसके पीछे ये ही कोशिशें हैं। आरबीआई ने बीते दिनों खूब डॉलर खरीदा है। ऐसा करने से आरबीआई का डॉलर का भंडार मजबूत हुआ है। आज की बात करें तो फिलहार आरबीआई के पार 677.8 अरब डॉलर है।

(शेयर मंथन, 29 अप्रैल 2025)

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