म्यूचुअल फंड निवेश : डर या लालच से नहीं, धैर्य के साथ टिकने पर मिलता है बड़ा रिटर्न

म्यूचुअल फंड्स में आप पाई पाई जोड़ कर पूँजी खड़ी करने के लिए आते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि आपका गलत समय पर फंड से निकलना भारी नुकसान करवा सकता है।शेयर बाजार के उतार-चढ़ाव से घबरा कर निवेशक अक्सर असमय फंड से बाहर निकलने का फैसला कर लेते हैं, जो उनके दीर्घावधि लक्ष्य के लिए हानिकारक सिद्ध होता है।  

गलत समय पर निकला सही नहीं

आम तौर पर हर म्यूचुअल फंड निवेशक को कहा जाता है कि लंबी अवधि के लिए निवेश करो। काफी लोग विशेषज्ञ की सलाह से निवेश करते हैं। लेकिन निवेश के कुछ समय बाद बाजार गिरने लगता है और प्रतिफल का बढ़ता ग्राफ ढलान पर दिखाई देने लगता है। सोचते हैं यही पैसा कहीं और लगाया होता तो कम के कम आज पूँजी तो सलामत रहती। इसी उधेड़-बुन में एक गलती हो जाती है। भावनाओं में बह कर निवेशक फंड से निकल जाते हैं। पैसा तो पूछ कर लगाया था लेकिन निकलने का फैसला अकेले कर लिया। ये गलती इसलिए है क्योंकि जब बाजार में बने रहने का समय था तब निकलने पर आपको नुकसान हो गया। आप न तो अब अपना लक्ष्य हासिल कर पाये, न पूँजी बचा पाये और मौका जो हाथ से निकला वो अलग।

पहले बाजार गिरा फिर संभला

पिछले साल सितंबर-अक्टूबर से बाजार गिर रहा था। मार्च अप्रैल आते-आते कुछ संभला लेकिन उतार चढ़ाव का दौर खत्म नहीं हुआ। मार्च के शुरुआत में निफ्टी 50 23000 के भी नीचे फिसलता दिखाई दिया। वहीं अप्रैल की शुरुआत में इसने 22000 का स्तर भी तोड़ दिया। यानी करीब 5-6% की गिरावट महज कुछ ही दिनों में बाजार ने दिखा दी। लोग अंदाजा लगाने लगे कि 21000 का स्तर भी टूटेगा लेकिन ऐसा हुआ नहीं।

बाजार में इस उतार-चढ़ाव का केंद्र अमेरिका था और वजह थे वहाँ के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप और उनका ट्रंप टैरिफ। इसने बाजार के मथे पर बल ला दिये जिससे बाजार डरने लगा। लगा कि अगर ट्रंप नहीं माने तो अमेरिका में मंदी आ ही जायेगी। और अमेरिका में आई तो उसका असर पूरी दुनिया पर पड़ेगा। इस डर ने बाजार को पाताल की गहराइयों को नापने के लिए मजबूर कर दिया।

ट्रंप टैरिफ से बाजार तो घबराया ही, म्यूचुअल फंड्स के निवेशक भी सहम गए। फंड्स से निकलने की होड़ लग गई। हालाँकि बड़ी संख्या में ऐसे लोग भी थे जो डरे नहीं और फंड में बने रहे़ क्योंकि वो जानते थे कि ये निकलने का नहीं, फंड में बने रहने का वक्त है। एम्फी के आंँकड़े बताते हैं कि मार्च 2025 में एसआईपी 4 महीनों के निचले स्तरों पर पहुँच गई थी। और निवेश में 14% से ज्यादा की गिरावट आई थी।

बाजार के फंडामेंटल्स मजबूत

हालाँकि उस समय भी बाजार के फंडामेंटल्स मजबूत बने रहे। जैसे

* कंपनियों से तिमाही नतीजों में अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद

* देश में खपत की दर का लगातार स्थिर बने रहना

* सरकार की नीतियों का लंबी अवधि के ग्रोथ को सपोर्ट करना

हालाँकि जानकार हमेशा कहते रहे हैं कि बाजार में कोई भी चीज हमेशा के लिए नहीं होती है, फिर चाहे वो तेजी हो या फिर गिरावट। लेकिन जो निवेशक इस छोटी सी बात को नहीं समझे और निवेश से निकल गए उन्होंने अपना नुकसान करवा लिया। लेकिन सवाल ये है कि लोग ऐसे भावनात्मक फैसले लेते ही क्यों हैं? चलिये समझते हैं।

गलत समय पर गलत फैसला क्यों लेते हैं निवेशक?

जानकारों की मानें तो इसके पीछे कुछ चीजें जिम्मेदार होती है। जैसे:-

* डर और घबराहट : बाजार में गिरावट का आना स्वाभाविक है। ये उसकी प्रकृति है, यानी ऐसा होता ही है। लेकिन लोग गिरावट में घबरा जाते हैं। उस समय लगता है कि गलत फैसला ले लिया। निवेश नहीं करना चाहिए था। अब क्या होगा। और इसी सोच से घबराकर वे निवेश से निकल जाना में ही समझदारी मानते हैं। और बस यहीं गलती हो जाती है।

* सीमित सोच या कहें छोटी अवधि की मानसिकता : कुछ निवेशक निवेश की शुरुआत करते ही अच्छे रिटर्न की उम्मीद करने लगते हैं। उन्हें लगता है कि कोई जादू की छड़ी है जो घूमेगी और उन्हें मोटी कमाई करवाके जायेगी। रिटर्न की लालच में वो बाजार की चाल और उसकी प्रकृति को भूल जाते हैं। फिर अगर बाजार गिरा तो उन्हें फायदा नहीं नुकसान दिखायी देता है और वो फंड से निकल जाते हैं।

* निगेटिव खबर से लगता है डर : अगर निवेशकों को बाजार से संबंधित कोई बुरी खबर सुनने को मिलती है तो वो भी डर जाते हैं। और इससे पहले कि कहीं कुछ ज्यादा बुरा हो जाये वो फंड से बाहर निकलना चाहते हैं। उन्हें लगता है कि ये सही फैसला होगा।

इन सब बातों का निष्कर्ष निकालें तो पायेंगे कि फंड से निकलने के मुख्य तौर पर दो ही कारण हैं। पहला है डर और दूसरा है लालच। लेकिन सच्चाई ये है कि बाजार में उतार चढ़ाव स्वाभाविक है और बाजार की अच्छी सेहत के लिए जरूरी है। गिरावट बाजार को और मजबूत करती है। एक छोटे से उदाहरण से इसे समझने की कोशिश करते हैं।

साल निफ्टी 50 निवेशक ‘ए’ (निवेश में बना रहा) निवेशक ‘बी’ (गिरावट में निकल गया) (रुपये)

2022 18,300 1,00,000 1,00,000

2023 19,500 1,06,600 1,06,600

2024 22,800 1,25,000 1,25,000

अप्रैल 2025 21,500 1,17,500 (आंशिक गिरावट) 1,17,500 (निकल गया)

दिसंबर 2025 (अनुमान) 24,000 1,32,500 (पूंजी बढ़कर हुई) 1,17,500 (पूंजी नहीं बढ़ी)

(शेयर मंथन, 30 अप्रैल 2025)

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