कॉटन वायदा (दिसंबर) की कीमतों में नरमी का रुझान है और कीमतें 21,400-21,300 रुपये तक लुढ़क सकती हैं।
मिलों की ओर से कम खरीदारी के कारण दक्षिण और मध्य भारत में कपास की कीमतों में गिरावट हुई है। केवल जरूरतमंद मिलें ही कपास की खरीदारी कर रही हैं जबकि विदेशों से औसत माँग को देखते हुए निर्यातक कोई बड़ा करार नही कर रहे हैं और वे थोक खरीदारी से दूरी बनाये हुए हैं।
ग्वारसीड वायदा (जनवरी) की कीमतों के 4,200 रुपये तक लुढ़कने की संभावना है, जबकि ग्वारगम वायदा (जनवरी) की कीमतों में 8,400-8,350 रुपये तक गिरावट हो सकती है। कच्चे तेल की कीमतों में भारी गिरावट के बाद ग्वारगम की माँग में कमी आने की आशंका से कीमतों पर दबाव पड़ सकता है। कम होती माँग और अधिक आपूर्ति के कारण कल कच्चे तेल की कीमतों में 5% से अधिक की गिरावट हुई है।
चना वायदा (जनवरी) की कीमतों के नरमी के रुझान के साथ 4,410 रुपये के स्तर पर पहुँचने की संभावना है। चना दाल और बेसन की कम बिक्री के बाद मिलों की ओर से चना की कम खरीदारी के कारण देश के प्रमुख हाजिर बाजारों में चना की कीमतों में नरमी का रूझान है। चना (कांटा) की कीमतें 4,400 रुपये प्रति क्विंटल, चना (देशी) की कीमतें 4,300 रुपये प्रति क्विंटल और चना दाल की औसत कीमतें 5,650-5,750 रुपये प्रति क्विंटल के दायरे में हैं। (शेयर मंथन, 19 दिसंबर 2018)
ग्वारसीड वायदा (जनवरी) की कीमतों के 4,200 रुपये तक लुढ़कने की संभावना है, जबकि ग्वारगम वायदा (जनवरी) की कीमतों में 8,400-8,350 रुपये तक गिरावट हो सकती है। कच्चे तेल की कीमतों में भारी गिरावट के बाद ग्वारगम की माँग में कमी आने की आशंका से कीमतों पर दबाव पड़ सकता है। कम होती माँग और अधिक आपूर्ति के कारण कल कच्चे तेल की कीमतों में 5% से अधिक की गिरावट हुई है।
चना वायदा (जनवरी) की कीमतों के नरमी के रुझान के साथ 4,410 रुपये के स्तर पर पहुँचने की संभावना है। चना दाल और बेसन की कम बिक्री के बाद मिलों की ओर से चना की कम खरीदारी के कारण देश के प्रमुख हाजिर बाजारों में चना की कीमतों में नरमी का रूझान है। चना (कांटा) की कीमतें 4,400 रुपये प्रति क्विंटल, चना (देशी) की कीमतें 4,300 रुपये प्रति क्विंटल और चना दाल की औसत कीमतें 5,650-5,750 रुपये प्रति क्विंटल के दायरे में हैं। (शेयर मंथन, 19 दिसंबर 2018)
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