राजीव रंजन झा
यह देखना दिलचस्प है कि किस तरह रातों-रात बाजार का मन बदलता है।
गुरुवार को सारे विश्लेषक बाजार को अगले दिन नीचे देख रहे थे। शुक्रवार को ज्यादातर लोग अगला दिन तेज मान रहे थे! हो सकता है कि सोमवार की सुबह बाजार खुलने तक तस्वीर कुछ और नजर आये। यह बाजार में असमंजस और दिशा-भ्रम का साफ संकेत है और बता रहा है कि बाजार बड़ी हलचलों के लिए तैयार हो रहा है। शेयर बाजार की भीड़ किसी भी दिशा में जाने की मानसिकता में आ रही है। ऐसे में भगदड़ किस ओर मचेगी, यह अंदाजा लगाना जरा मुश्किल हो जाता है।
इस महीने ज्यादातर समय निफ्टी 5000-5100 के दायरे में सिमटता नजर आया है। अब किसी भी समय यह दायरा टूटेगा और बाजार को एक दिशा पकड़नी होगी। लोग दोनों ही दिशाओं को लेकर डर रहे हैं। खरीद नहीं पा रहे, क्योंकि नीचे 4700-4500-4200 के डरावने सपने आते हैं। बेच नहीं पा रहे, क्योंकि मौजूदा दायरा ऊपर की ओर टूटने पर 5300-5500 अगले स्वाभाविक लक्ष्य बन जायेंगे।
तो अभी क्या करें? जो निवेशक हैं, चाहे मध्यम अवधि के हों या लंबी अवधि के, वे तो कुछ निश्चिंत होकर बाजार में नियमित खरीदारी कर सकते हैं – किसी नियमित निवेश योजना (एसआईपी) की तरह। हर महीने निवेश करते रहें, तलहटी पकड़ने के इंतजार में न बैठे रहें। बेशक हाथ में हमेशा कुछ अतिरिक्त नकदी रखें, जिससे किसी उतार-चढ़ाव में बड़े सस्ते भाव मिल रहे हों तो आप मौका एकदम चूक न जायें। कई बार निवेशकों के मन में यह सवाल आता है कि अगर अभी मुनाफा मिल रहा है और आगे नीचे के भाव मिलने की संभावना है तो क्यों न अभी बेच कर नीचे फिर से खरीदा जाये। यह सोचना दुरुस्त है, लेकिन ऐसा करते ही आप निवेशक से कारोबारी बन जाते हैं। कारोबारी बनने में कोई हर्ज नहीं है, लेकिन फिर रणनीति उसी हिसाब बनती है, तैयारी उसी हिसाब से होती है।
कारोबारियों के लिए इस समय दुविधा की स्थिति तो है, लेकिन जोखिम उठा सकने वालों के लिए दोहरे मौके भी हैं। इन स्तरों से हो सकता है कि आपको ऊपर के लक्ष्य भी मिलें और नीचे के भी। अगले 4-6 हफ्तों में संभव है कि निफ्टी 5500 भी छू ले और 4500 भी। आपकी चुस्ती तय करेगी कि दोनों हाथों में लड्डू आते हैं या आप दोनों तरफ से पिटते हैं! (शेयर मंथन, 23 नवंबर 2009)
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