राजीव रंजन झा
पिछले हफ्ते बाजार में ज्यादातर लोग यही मान कर कारोबार करते रहे कि बाजार को नीचे जाना है और वापस ऊपर गया भी तो निफ्टी 5100 से आगे नहीं जा सकेगा।
कल निफ्टी का 5100 के ठीक ऊपर बंद होना इस धारणा को चुनौती दे रहा है। हालाँकि आज सुबह अमेरिकी बाजार के अच्छे संकेतों और एशियाई शेयर बाजारों के मिले-जुले रुख के चलते सुबह बाजार की शुरुआत बिना किसी बड़ी हलचल के हो सकती है। इसलिए सुबह-सुबह तो पटाखे नहीं छूटेंगे, लेकिन अगर दिन के कारोबार में निफ्टी 5100 के ऊपर टिकता नजर आया तो वायदा सेट्लमेंट से ठीक पहले ढेर सारे कारोबारियों के पसीने जरूर छूटेंगे – वो भी इस सर्दी में।
पसीने छूटने का कारण यही है कि ज्यादातर लोगों ने 5100 की ऊपरी सीमा मान कर वायदा सौदे कर रखे हैं। ऐसे में अगर निफ्टी 5100 के ऊपर जाता नजर आया तो घबराहट में उन्हें अपने सौदे निपटाने पड़ेंगे। इसलिए बिकवाली सौदे कटने से पैदा तेजी की संभावना पर आज नजर रखें।
लेकिन दूसरी तरफ यह बात भी ध्यान में रखें कि शुक्रवार और सोमवार को आयी उछाल में संस्थागत खरीदारी का दम नहीं है। पिछले 3 कारोबारी दिनों से एफआईआई की खरीदारी अटक गयी है। गनीमत यही है कि उनकी ओर से अभी बड़ी बिकवाली नहीं आयी है और दूसरी ओर घरेलू संस्थाएँ फिर से थोड़ी खरीदारी करती दिख रही हैं। इस तरह कुल मिलाकर संस्थागत खरीद-बिक्री का हिसाब-किताब बिल्कुल संतुलित ढंग से बाजार को न तो ऊपर खींच रहा है, न तो नीचे ही। यह स्थिति भी उलझन में डालने वाली है।
अगर एफआईआई खरीदारी फिर लौट गयी, बाजार को नया दमखम मिल जायेगा। जो बाजार बिना एफआईआई खरीदारी के ऊपरी स्तरों पर टिकता दिख रहा हो, उसे खरीदारी का नया सहारा और मजबूत ही करेगा ना। और उस स्थिति में बिकवाली सौदे कटने से घबराहट वाली तेजी की संभावना भी जुड़ जायेगी। लेकिन दूसरी तरफ अगर एफआईआई बिकवाली जारी रहे, कुछ और बढ़ जाये, तो उन लोगों का पलड़ा भारी होगा जो बाजार में एक गिरावट जरूरी मान रहे हैं। अभी इन दोनों में से किसी भी संभावना को नकारा नहीं जा सकता।
बाजार अगले कुछ महीनों में एक बड़े उथल-पुथल से गुजर सकता है। इसमें लोग बार-बार अपनी राय बदलने को मजबूर हो सकते हैं। कभी तेजी का चरम दिखेगा तो कभी हताशा पूरी तरह हावी होगी। यह एक संभावना है जिसके लिए मानसिक रूप से तैयार रहें। (शेयर मंथन, 24 नवंबर 2009)
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