कॉटन वायदा (अगस्त) की कीमतों के 16,000-16,600 रुपये के दायरे में मजबूत होने की उम्मीद है।
उल्टा सीमित कारक यह है कि अधिकांश मिलों द्वारा सीसीआई से खरीदारी करने के कारण कीमतों की बढ़त पर रोक लग रही हैं। इससे मंडी में कपास की माँग कमजोर हुई है। लेकिन जैसा कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कपास की कीमतों में तेजी का रुझान है, इसलिए कीमतों की गिरावट पर रोक लगी रह सकती है। अमेरिकी आँकड़ों से पता चलता है कि चीन को अच्छी मात्रा में कपास का निर्यात किया गया है। कारोबारी अब पहले चरण के व्यापार सौदे पर अमेरिकी और चीन के बीच होने वाली बैठक पर नजर रखे हुये हैं। आधिकारिक रूप से दोनों पक्ष सौदे की समीक्षा करना चाहते हैं। घरेलू स्तर पर, वर्तमान में, मध्य भारत में कपास की फसल में फूल लगने वाले है। यद्यपि 2020 का दक्षिण-पश्चिम मानसून समय पर आ गया, लेकिन यह जुलाई के अंत और अगस्त की शुरुआत में कमजोर होने के कुछ संकेत दिखा रहा है।
चना वायदा (सितम्बर) की कीमतों को 4,220 रुपये के पास सहारा मिलने की संभावना है, जबकि कीमतों में 4,350-4,400 रुपये के स्तर तक बढ़ोतरी हो सकती है। हाजिर बाजार में माँग बेहतर है और आने वाले हफ्तों में वृद्धि की उम्मीद है क्योंकि चरण बद्ध तरीके से अर्थव्यवस्था अनलॉक हो रही है। इसके अलावा, वर्ष के इस समय के आस-पास मौसमी रूप से समग्र माँग सामान्य रूप से अधिक होती है क्योंकि त्योहारी सीजन नजदीक आने लगता है।
ग्वारसीड और ग्वारगम वायदा (सितम्बर) की कीमतों में क्रमशः 3,500 रुपये और 5,700 रुपये तक गिरावट हो सकती है। राजस्थान के कई इलाकों में बहुत अच्छी बारिश होने के बाद रकबा बढ़ने की उम्मीद से हाजिर बाजारों में ग्वारगम की कीमतें कम होने लगी हैं। हालाँकि, कारोबारियों का अनुमान है कि अंतिम बुवाई के आँकड़ों का अनुमान एक सप्ताह के भीतर हो सकता है जिसका बाजार में इंतजार हो रहा है। दूसरी बात यह है कि हाल ही में कीमतों में बढ़ोतरी के कारण ग्वारगम की माँग कमजोर हुई है और महामारी के कारण माँग कम होने से कच्चे तेल की कीमतें 50 डॉलर से नीचे फंसी हुई है। (शेयर मंथन, 17 अगस्त 2020)
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