सोयाबीन वायदा (सितम्बर) की कीमतों को 3,600 रुपये के पास सहारा रहने की संभावना है जो इसका 200 दिनों सोयाबीन उत्पादक क्षेत्रों में कम बारिश के कारण कीमतों की गिरावट पर रोक लगी रह सकती है।
पर्याप्त बारिश के अभाव में फफूंद के साथ-साथ सफेद मक्खियों का भी हमला हुआ है जिसके कारण फूल मुरझा रहे हैं। सरसों वायदा (सितम्बर) की कीमतों के 4,900-5,250 रुपये के दायरे में सीमित कारोबार करने की संभावना है। अंचार निर्माताओं की ओर से सरसों तेल की बढ़ी हुई है माँग और कम होती आवक के कारण आने वाले दिनों में कीमतों में तेजी बरकरार रह सकती है।
सोया तेल (सितम्बर) की कीमतों में 880 रुपये के स्तर अड़चन के साथ 860-840 रुपये तक गिरावट हो सकती है, जबकि सीपीओ (अगस्त) की कीमतें 720-750 रुपये के दायरे में कारोबार कर सकती है। त्यौहारी सीजन के बावजूद कमजोर माँग और सस्ते आयोतित तेल की पर्याप्त उपलब्धता के कारण इंदौर की मंडियों में सोया तेल और अन्य तेलों की कीमतों की बढ़त पर रोक लग गयी है। कारोबारियों के अनुसार खाद्य तेलों की ब्रिकी, जो महामारी के प्रकोप के बाधित हुई थी, वह फिर से बढ़ रही है, लेकिन कि जुलाई 2020 में खाद्य तेलों का आयात 15,17,350 टन हुआ है जो जुलाई 2019 में 13,47,882 टन की तुलना में 13% अधिक है। यह तेल वर्ष 2019-20 के पिछले ग्यारह महीने में सबसे अधिक आयात है। आगे कारोबारियों को सतर्क रहने की जरूरत है और अमेरिकी सोयाबीन पेराई पर ध्यान केंद्रित करेंगे, जो नेशनल ऑयल से पहले रॉयटर्स के अनुसार जुलाई में संभवत: चार महीने के उच्च स्तर पर पहुँच गया है। (शेयर मंथन, 17 अगस्त 2020)
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