मोतीलाल ओसवाल सिक्योरिटीज लिमिटेड (एमओएसएल) का मानना है कि निकट भविष्य में तकनीकी क्षेत्र देश का सबसे बड़ा पूँजी सर्जक क्षेत्र बन सकता है।
फर्म ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि बजाज फिनसर्व, बजाज कॉर्प, जाइडस वेलनेस, सिम्फनी और कैर्न इंडिया वे कंपनियाँ हैं जिनमें आगे बेहतर प्रदर्शन करने की क्षमता है।
ब्रोकिंग फर्म ने अपनी अनकॉमन प्रॉफिट्स- इमर्जेंस ऐंड इंड्योरेंस में लिखा है कि पिछले पाँच सालों (2008-13) के दौरान सबसे बड़ा पूँजी सर्जक उपभोक्ता (कंज्यूमर) एवं खुदरा क्षेत्र (रिटेल सेक्टर) रहा है। मौजूदा स्थिति में ये कंपनियाँ अपने औसत पीई के 33 गुने पर कारोबार कर रही हैं, जो बाजार के औसत का दोगुना है। फर्म ने कहा है कि ऐसी स्थिति में इनमें अब और री-रेटिंग की गुंजाइश कम है। दूसरी ओर तकनीकी क्षेत्र की कंपनियाँ अपने औसत पीई के 19 गुने पर हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि सामान्य आर्थिक धीमेपन के वक्त में आईटी, फार्मा और उपभोक्ता क्षेत्र दाँव लगाने के लिए सबसे उपयुक्त होते हैं।
यदि 2008-13 की अवधि के सबसे तेज 10 पूँजी सर्जक कंपनियों की सूची पर नजर डाली जाये तो साल 2008 में इनमें से नौ कंपनियों का बाजार पूँजीकरण 50 अरब रुपये से कम था। दरअसल पाँच कंपनियों का पूँजीकरण तो 10 अरब रुपये से भी कम था। इन 10 में से 7 कंपनियाँ साल 2008 में अपने पीई के 15 गुने से कम पर कारोबार कर रही थीं। रिपोर्ट के अनुसार, इससे यह बात निकल कर आती है कि यदि सही कारोबारी मॉडल और सक्षम प्रबंधन वाली छोटी-मँझोली कंपनियों को उचित मूल्यांकन पर खरीदा जाये तो वे बेहतरीन रिटर्न मुहैया करा सकती हैं, भले ही अर्थव्यवस्था और शेयर बाजार की दशा कैसी भी हो। ध्यान रहे कि बीते पाँच साल (2008-13) भारतीय अर्थव्यवस्था और शेयर बाजार के लिए काफी मुश्किल रहे हैं।
इस अध्ययन में यह सामने आया है कि टीसीएस इस अवधि की सबसे बड़ी पूँजी सर्जक कंपनी रही है, जबकि टीटीके प्रेस्टीज (95% की सालाना औसत विकास दर) ने सबसे तेज दर से पूँजी सृजित की है। सर्वाधिक निरंतरता के साथ पूँजी सृजन करने वाली कंपनियों की सूची में पहला नाम एशियन पेंट्स का है। इसने पिछले लगातार 10 सालों से 36% के सालाना औसत विकास दर से पूँजी सृजन किया है।
इस अवधि के दौरान सबसे बड़ी पूँजी नाशक कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज रही है। रिपोर्ट में बताया गया है कि अवधि के दौरान दस सबसे बड़ी पूँजी नाशक कंपनियों में से पाँच सरकारी क्षेत्र की हैं। (शेयर मंथन, 14 दिसंबर 2013)
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