गोल्डमैन सैक्स के बाद एक और अंतरराष्ट्रीय रेटिंग एजेंसी एस एंड पी ने अगले दो सालों के लिए भारत की जीडीपी वृद्धि अनुमान में संशोधन किया है। अमेरिकी एजेंसी ने इसके लिए ऊँची ब्याज दरों और सरकारी खर्चों में कटौती से शहरी माँग के कमजोर होने को इसके लिए जिम्मेदार बताया है।
एजेंसी का कहना है कि वित्त वर्ष 2025-26 में भारत की जीडीपी वृद्धि 6.7% रहेगी, जबकि वित्त वर्ष 2026-27 में ये 6.8% रहने का अनुमान जताया है। इससे पहले वित्त वर्ष 2025-26 में 6.9% और वित्त वर्ष 2026-27 में 7% की वृद्धि का अनुमान था। हलाँकि एजेंसी ने वित्त वर्ष 2024-25 का अनुमान में बिना बदलाव 6.8 फीसदी पर क़ायम रखा है। एजेंसी का ये भी मानना है कि 2027-28 में जीडीपी विकास दर 7 फीसदी रहेगी।
अपने लिए कदमों के पीछे कारण बताते हुए एस एंड पी ने कहा भारतीय रिजर्व बैंक ब्याज दरों में कटौती नहीं कर पा रहा है। बढ़ती महँगाई इसके पीछे सबसे बड़ा कारण है। वो आरबीआई को दरों में कटौती करने से रोक रही है। लिहाजा लोगों को कम दरों पर कर्ज नहीं मिल पा रहा है। इसी कारण लोगों की खपत पर दबाव दिख रहा है और वो भी तेजी से बढ़ नहीं पा रही है। सरकार भी राजकोषीय घाटे पर अंकुश लगाने के लिए दिल खोलकर खर्च नहीं कर रही। इसका भी खपत पर बुरा असर पड़ रहा है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण समेत कई केंद्रीय मंत्रियों ने आरबीआई गवर्नर को ब्याज दरों में कटौती करने का सुझाव दिया है। लेकिन गवर्नर शक्तिकांत दास का साफ कहना है कि उनका ध्यान अभी सिर्फ महँगाई को काबू करने पर है, किसी और चीज पर नहीं।
(शेयर मंथन, 26 नवंबर 2024)
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