तिमाही कारोबारी नतीजे पेश करने के बाद शुक्रवार को ल्युपिन में कमजोरी बनती दिखी है।
इसने अपने नतीजे गुरुवार को ही सामने रखे थे, जिसके बाद शुक्रवार 14 मई को इसके शेयर ने शुरुआत में मजबूती दिखायी, मगर बाद में कमजोर होता गया।
बीएसई में शुक्रवार को सुबह 1212.90 रुपये पर खुलने के बाद यह 1233.00 रुपये तक चढ़ा, लेकिन इसके बाद 1165.95 रुपये तक फिसला। अंत में यह 31.95 रुपये या 2.64% के नुकसान के साथ 1178.80 रुपये पर बंद हुआ। ल्युपिन ने अपने ताजा तिमाही नतीजों में 460 करोड़ रुपये का मुनाफा दिखाया है, जो पिछले वर्ष की समान तिमाही में मिले मुनाफे से 18% अधिक है।
वित्त वर्ष 2019-20 में 269 करोड़ रुपये के घाटे की तुलना में 2020-21 में इसने 1,216 करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ हासिल किया है और इस तरह कंपनी से घाटे से मुनाफे में लौट आयी है। कंपनी अपने मार्जिन में सुधार भी दिखा रही है और प्रबंधन को आशा है कि मार्जिन में सुधार आगे भी जारी रहेगा। मगर इन नतीजों के बाद शुक्रवार को बाजार में ल्युपिन के शेयर भाव में गिरावट ही नजर आयी है और इसका कारण यह है कि कंपनी के कामकाज में आ रहे सकारात्मक बदलावों को बाजार पहले ही भुना चुका है।
पिछले कुछ सप्ताहों के अंदर कई ब्रोकिंग फर्मों ने ल्युपिन को लेकर अपने लक्ष्य संशोधित किये हैं और इस शेयर को लेकर बाजार में एक उत्साह दिखा है। मगर हाल में आयी उछाल के बाद इस शेयर का बाजार भाव इन फर्मों के लक्ष्य भाव तक पहुँच चुका है।
हालाँकि कुछ फर्मों ने थोड़े ऊँचे लक्ष्य भी रखे हैं, ऐसे में निवेशकों के लिए अब इसमें लाभ-जोखिम अनुपात उतना आकर्षक नहीं लगता है। अब इसमें वही निवेशक दाँव आजमा सकते हैं जो ज्यादा जोखिम ले सकते हों और काफी लंबी अवधि तक धैर्य के साथ इंतजार कर सकते हों। नये निवेश के लिए इसके भावों में नरमी आने का इंतजार किया जा सकता है। (शेयर मंथन, 15 मई 2021)
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