शेयर मंथन में खोजें

निफ्टी 6400 की ओर, या फिर 4000 की ओर?

राजीव रंजन झा

क्या अगले 2-3 महीनों में निफ्टी 6,400 तक जा सकता है, या फिर 4000 तक फिसल सकता है?

अभी इन स्तरों के बारे में सोचना ही मुश्किल लगता है। लेकिन इसी तरह का उतार-चढ़ाव जनवरी 2008 से मार्च 2008 के बीच दिख चुका है। आखिर 6400 यहाँ से 25.7% और 4000 यहाँ से 21.4% दूर ही तो हैं। दरअसल दुनिया भर के शेयर बाजारों को 2008 में लगी चोट का असर सबके मन पर इतना गहरा है कि नयी ऐतिहासिक ऊँचाइयों के बारे में सोचना भी हमें डराता है। जिस ऊँचाई ने सबको पटका था, उसकी बात कोई कैसे करे भला! लोगों का व्यवहार दूध के जले व्यक्ति जैसा होना स्वाभाविक है।
बाजार जब पहले ऐतिहासिक ऊँचाइयों तक गया था, तब दुनिया और खास कर भारत की अर्थव्यवस्था बड़ी अच्छी लग रही थी। इस समय अर्थव्यवस्था बस किसी तरह अपने घाव सहला कर फिर से चलने की कोशिश कर रही है। लिहाजा लोगों का यह सोचना भी स्वाभाविक है कि इस समय शेयर बाजार का नयी ऊँचाई की ओर जाना कैसे संभव हो सकता है? लेकिन क्या जनवरी 2008 में लोगों को मालूम था कि विश्व अर्थव्यवस्था का संकट कितना गहरा है? संकट की गहराई तो सितंबर 2008 के बाद पता चली। शेयर बाजार अर्थव्यवस्था से आगे-आगे चलता है। जब मार्च 2009 में शेयर बाजार ने सँभलना शुरू कर दिया, तो लोग यही पूछ रहे थे कि अर्थव्यवस्था तो सँभली नहीं, बाजार क्यों सँभल रहा है। अब 6-8 महीनों बाद लोग देख रहे हैं कि अर्थव्यवस्था ने सँभलना तो शुरू कर ही दिया है।
करीब डेढ़ महीने बाद अक्टूबर-दिसंबर 2009 की तिमाही के नतीजे आने शुरू होंगे। उससे कुछ पहले नतीजों के बारे में कयास लगने शुरू हो जायेंगे। और अगर नतीजे बाजार को सकारात्मक ढंग से चौंका गये, यह अहसास करा गये कि आर्थिक संकट इतिहास बन गया है, तो पूरे बाजार के लिए भविष्य की आय के अनुमान बदल जायेंगे, मूल्यांकन बदल जायेंगे। तेजी की इस आग को भड़काने का काम कर सकती है विदेशी संस्थागत निवेशकों की खरीदारी, जिनके पास भारत के विकास की कहानी का हिस्सेदार बनने के अलावा कोई विकल्प नहीं है।
लेकिन यह सफर बिना किसी झटके के नहीं हो सकता। लगातार केवल अच्छी खबरें नहीं मिल सकतीं। और बाजार जितनी ऊँचाई हासिल करेगा, लोगों के मन में फिसलने का डर भी उतना ही बढ़ेगा। उस डर के बीच कोई भी नकारात्मक खबर बाजार के पेंडुलम को दूसरे सिरे की ओर ठेल देगी। तो क्या आने वाले महीनों में जबरदस्त उतार-चढ़ाव से गुजर कर नये शिखर की ओर बढ़ना बाजार की नियति रहेगी? (शेयर मंथन, 25 नवंबर 2009)

Add comment

कंपनियों की सुर्खियाँ

निवेश मंथन पत्रिका

  • बजट 2024 : याद करेंगे आप 20 साल बाद! - निवेश मंथन पत्रिका (अगस्त 2024)

    इस साल के पूर्ण बजट से एक बदलाव ऐसा आया है, जिसे अभी या अगले 4-5 साल में नहीं, बल्कि शायद 20-30 साल बाद ज्यादा शिद्दत से महसूस किया जायेगा। और यह बात है दीर्घावधि पूँजीगत लाभ (लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन) पर इंडेक्सेशन की समाप्ति।

  • सेंसेक्स होगा 1 लाख पार - निवेश मंथन पत्रिका (जुलाई 2024)

    तीसरी बार मोदी सरकार बनने की आशा में छह महीने पहले भी भारतीय शेयर बाजार खूब उत्साहित था। वह आशा पूरी जरूर हुई, लेकिन गठबंधन की लाठी का थोड़ा सहारा लेकर। फिर भी, बाजार में बहुत-से जानकारों ने अब अगले 12 महीनों में ही सेंसेक्स 1 लाख पर होने के अनुमान रख दिये हैं।

देश मंथन के आलेख

विश्व के प्रमुख सूचकांक

निवेश मंथन : ग्राहक बनें

शेयर मंथन पर तलाश करें।

Subscribe to Share Manthan

It's so easy to subscribe our daily FREE Hindi e-Magazine on stock market "Share Manthan"