बाजार में पहले से इस बात के अंदेशे थे कि इस बार बजट में पूँजीगत लाभ कर (Capital Gain Tax) और वायदा-विकल्प (Futures and Options) कारोबार पर लगने वाले टैक्स को लेकर कुछ सख्त घोषणाएँ हो सकती हैं, हुआ भी ऐसा ही।
एसटीसीजी टैक्स और एलटीसीजी टैक्स दोनों बढ़े
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट में कुछ वित्तीय संपत्तियों पर अल्पावधि पूँजीगत लाभ कर (शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स) या एसटीसीजी (STCG) को बढ़ाने की घोषणा कर दी। पहले एसटीसीजी की दर 15% थी, जो अब बढ़ कर 20% हो गयी है। इन वित्तीय संपत्तियों में वायदा-विकल्प (फ्यूचर-ऑप्शन) शामिल हैं।
साथ ही, इस बजट में अल्पावधि पूँजीगत लाभ कर (लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स) या एलटीसीजी (LTCG) की दर 10% से बढ़ कर 12.5% हो गयी है। हालाँकि दूसरी तरफ एलटीसीजी से छूट की सीमा 1 लाख रुपये से बढ़ कर 1.25 लाख रुपये हो गयी है। मतलब यह, कि जितना एलटीसीजी बन रहा होगा, उसमें से 1.25 लाख रुपये घटाने के बाद बाकी राशि पर एलटीसीजी टैक्स देना होगा।
एफऐंडओ कारोबार पर लगेगा ज्यादा एसटीटी
सरकार ने वायदा-विकल्प (एफऐंडओ) कारोबार को लेकर बन रहे अति-उत्साह को सीमित करने की दिशा में कदम बढ़ाया है। इसके लिए वित्त मंत्री ने इस बजट में फ्यूचर और ऑप्शन की खरीद-बिक्री पर लगने वाले सिक्योरिटी ट्रांजैक्शन टैक्स (Securities Transaction Tax) या एसटीटी (STT) की दरों को बढ़ा दिया। फ्यूचर पर एसटीटी को 0.0125% से बढ़ा कर 0.02% और ऑप्शन पर एसटीटी 0.0625% से बढ़ा कर 0.10% कर दिया गया है। ये बढ़ी हुई एसटीटी दरें 1 अक्टूबर 2024 से लागू होंगी।
पिछले काफी दिनों से सरकार और बाजार नियामक सेबी की ओर से इस बात पर चिंता जतायी जाती रही है वायदा-विकल्प (एफऐंडओ) कारोबार में सक्रिय छोटे निवेशकों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। सेबी की ओर से सचेत किया जाता रहा है कि 10 में से 9 छोटे निवेशक ऐसी ट्रेडिंग में नुकसान ही उठाते हैं।
स्पष्ट है कि सरकार ने छोटे निवेशकों को इस श्रेणी में कदम रखने से हतोत्साहित करने के मकसद से यह निर्णय लिया है। हालाँकि कई जानकारों के मन में यह सवाल है कि बड़े मुनाफे के लालच में एफऐंडओ ट्रेडिंग में उतरने वाले निवेशक बढ़ी हुई एसटीटी को देख कर कितना संयम बरतेंगे। संभावना यह भी है कि आगे बाजार नियामक सेबी की ओर से छोटे निवेशकों को इस श्रेणी से दूर रखने वाले कुछ और उपाय किये जा सकते हैं। (शेयर मंथन, 23 जुलाई 2024)