एलन मस्क की कंपनी स्टारलिंक का भारत में आने का रस्ता तकरीबन साफ हो गया है। कंपनी सरकार के डेटा लोकलाइजेशन और सिक्योरिटी नियमों को पूरा करने के लिए राजी हो गई है।
स्टारलिंक का रस्ता साफ
एलन मस्क की कंपनी स्टारलिंक ने टेलीकॉम विभाग के साथ बैठक की थी, जिसमें उसने सैटेलाइट ब्रॉडबैंड सर्विसेज लाइसेंस के लिए डेटा लोकलाइजेशन और सिक्योरिटी से जुड़े नियमों को पूरा करने के लिए हामी भर दी। हलाँकि, कंपनी ने अभी तक इसके लिए कोई लिखित करार नहीं किया है। इंटरनेट सेवाएँ देने वाली कंपनियों को ग्लोबल मोबाइल पर्सनल कम्युनिकेशन बाय सैटेलाइट (जीएमपीसीएस) सेवा लाइसेंस प्रदान करना देश में सैटेलाइट इंटरनेट का ढाँचा विकसित करने की दिशा में पहला कदम है। इस के बाद मामूली निवेदन शुल्क देकर परीक्षण के लिए स्पेक्ट्रम हासिल किया जा सकता है।
नियमों को पूरा करना जरूरी
सुरक्षा कारणों से सरकार चाहती है कि भारत में कारोबार करने वाली सैटेलाइट कम्युनिकेशन कंपनी देश का पूरा डाटा देश में रखें और वो बाहर किसी दूसरे देश में नहीं जाये। इसके लिए कंपनी को देश में सर्वर लगाना होगा, ताकि देश का डाटा देश में ही बना रहे। दरअसल, डाटा अगर बाहर के सर्वर पर होगा तो जरूरत पड़ने पर खुफिया एजेंसियों को उसे हासिल करने में परेशानी होगी। ये नियम स्टारलिंक पर भी लागू होते हैं जिसके लिए उसने हामी भी भर दी है। स्टारलिंक ने अक्टूबर 2022 में इस लाइसेंस के लिए आवेदन किया था।
अभी सफर लंबा है!
भारत सरकार ने अभी सिर्फ देश में सैटेलाइट ब्रॉडबैंड सेवाएँ शुरू करने का इरादा जताया है। लेकिन उसकी प्राइसिंग और स्पेक्ट्रम आवंटन के नियम तय नहीं किये हैं। ये तभी होगा जब टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया (ट्राई) अपनी सिफारिशें सरकार को देगा, जिसकी इसी साल दिसंबर तक आने की उम्मीद है।
(शेयर मंथन, 12 नवंबर 2024)
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