म्यूचुअल फंड निवेशकों को निवेश से जुड़ी हर तरह की जानकारी देने के उद्देश्य से भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने नये दिशा-निर्देश जारी किये हैं। बाजार नियामक ने मंगलवार (05 नवंबर) को म्यूचुअल फंड की डायरेक्ट और रेगुलर योजनाओं के खर्चों के बारे में अलग से जानकारी देने का निर्देश दिया है। इस कदम का उद्देश्य निवेशकों को सूचित निर्णय लेने में मदद करना है।
क्या है सेबी का नया आदेश
मार्केट रेगुलेटर ने म्यूचुअल फंड उद्योग के लिए नया सर्कुलर जारी किया है। इसमें उसने कहा है कि म्यूचुअल फंड घरानों को अपनी योजनाओं के डायरेक्ट और रेगुलर प्लान दोनों के खर्चों के बारे में अलग से जानकारी देनी होगी। इतना ही नहीं कंपनियों को अपनी स्कीमों के साथ-साथ उनसे जुड़े तमाम जोखिमों और खर्चों की जानकारी एक तय मानक प्रारूप में देनी होगी।
सर्कुलर में सेबी ने कहा है कि कंपनियाँ डायरेक्ट प्लान के निवेशकों से खर्च और कमीशन नहीं वसूल सकती हैं। लिहाजा किसी भी स्कीम के डायरेक्ट प्लान का एक्सपेंस रेशियो उस स्कीम के रेगुलर प्लान के कम रहेगा। ऐसा इसलिए क्योंकि डायरेक्ट और रेगुलर दोनों ही अलग-अलग प्लान होते हैं।
इसलिए कंपनियों को स्कीम के डिस्क्लोजर में डायरेक्ट प्लान के साथ ही रेगुलर प्लान के रेकरिंग यानी हर बार होने वाले खर्चों की जानकारी भी अलग से देनी होगी। इतना ही नहीं कंपनियों को नए कलर कोड वाले रिस्क-ओ-मीटर के साथ फंड से जुड़े जोखिमों की जानकारी निवेशकों को देनी होगी। इन नए रिस्क-ओ-मीटर में कम रिस्क से लेकर अधिक रिस्क तक के कुल 6 लेवल में जानकारी देनी होगी। इससे निवेशकों को निवेश का फैसला लेने में मदद मिलेगी। नये नियम 5 दिसंबर से लागू होंगे।
(शेयर मंथन, 06 नवंबर 2024)
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