इंडिया रेटिंग्स के मुख्य अर्थशास्त्री सुनील कुमार सिन्हा ने फरवरी के आईआईपी के आँकड़ों को निराशाजनक बताया है।
सिन्हा ने कहा है कि कुल मिला कर अर्थव्यवस्था का परिवेश अनुकूल दिख रहा है, मगर औद्योगिक/मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र के वापस सँभलने में लंबा समय लग रहा है क्योंकि इसके पीछे चक्रीय और संरचनात्मक कारक हैं। सुरंग के अंतिम छोर तक पहुँचने की यह प्रक्रिया कब पूरी होगी, इसे समझना मुश्किल लगता है।
साथ ही, खुदरा महँगाई दर के ताजा आँकड़ों पर टिप्पणी करते हुए सिन्हा ने कहा कि ये आँकड़े अपेक्षित थे और इनसे महँगाई को लेकर आरबीआई की चिंता की पुष्टि होती है। पिछले कुछ महीनों में जिस तरह से महँगाई ऊपर चढ़ी है, और अगर यह आगे उसी तरह चलती है, जिसका खाका आरबीआई ने 2017-18 की पहली द्वैमासिक मौद्रिक नीति में रखा था, तो इसका मतलब होगा कि नीतिगत दरें अब काफी समय तक इन्हीं स्तरों पर ठहरी रहेंगी। अगर कहीं मानसून का व्यवहार असामान्य रहा (सामान्य से कम बारिश हुई) तो ब्याज दरों का चक्र पलट कर ऊपर की ओर भी जा सकता है। (शेयर मंथन, 13 अप्रैल 2017)