देश में औद्योगिक वृद्धि अप्रत्याशित रूप से गिरकर नवंबर में 17 महीने के निचले स्तर पर पहुँच गयी।
यह गिरावट त्योहारी सीजन के बाद देखी गयी है। त्योहारी सीजन की वजह से माह के दौरान कामकाजी दिन कम थे और वित्तीय तंगी ने उत्पादन को घटा दिया।
सांख्यिकी कार्यालय द्वारा जारी आँकड़ों के अनुसार, औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) द्वारा मापी जाने वाली वृद्धि नवंबर में 0.47% रही, जो पिछले साल उच्च आधार पर मंदी में योगदान दे रही थी। यह लगभग 4% की वृद्धि की उम्मीदों के विपरीत था। नवंबर 2017 में आईआईपी (IIP) में 8.5% की वृद्धि दर्ज की गयी थी। विनिर्माण क्षेत्र, जो आईआपी में 77.63% का योगदान देता है, जो एक साल पहले 10.4% था और अब घटकर 0.4% रह गया है। नवंबर 2017 में अक्टूबर की वृद्धि को 8.1% से संशोधित करके 8.4% किया गया था। यह इस बात पर भी निर्भर करता है कि दिवाली त्योहार का मौसम कब आता है। सामान्यतया सितंबर, अक्टूबर और नवंबर में उत्पादन अस्थिर हो जाता है।
इस पर प्रतिक्रिया देते हुए आईसीआईसीआई बैंक के ग्लोबल मार्केट्स के हेड बी प्रसन्ना ने कहा कि नवंबर में जारी किए गये आईआईपी के सालाना ऑकड़े 0.5% पर रहे, जो उम्मीद से काफी नीचे थे। आईआईपी ऑकड़ों में गिरावट मुख्य रूप से धातु, मोटर वाहन आदि क्षेत्रों और विनिर्माण क्षेत्र में कमजोरी की वजह से आयी थी। उपभोक्ता वस्तुओं के क्षेत्रों में संकुचन ने भी अपेक्षित वृद्धि से कम योगदान दिया, जिसका असर आईआईपी के ऑकड़ों पर देखा गया। हमें उम्मीद है कि वित्त वर्ष 2019 की तीसरी और चौथी तिमाहियों में सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि 7% से कम रहेगी। पूरे वर्ष का अनुमान लगभग 7.2% रहेगा। अगर आर्थिक गतिविधियाँ कमजोर बनी रहती हैं, तो मुद्रास्फीति के दबाव में कुछ सुस्ती देखने को मिल सकती है, जिससे अगली मौद्रिक नीति की बैठक में ब्याज दरों में कटौती की उम्मीदें बढ़ सकती हैं। (शेयर मंथन, 12 जनवरी 2019)