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आरबीआई (RBI) ने अचानक घटायी रिवर्स रेपो दर, नकदी बढ़ाने के भी उपाय

भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank of India) ने देश के बैंकों को ज्यादा ऋण जारी करने की ओर प्रेरित करने के लिए रिवर्स रेपो दर (Reverse Repo Rate) में कटौती कर दी है।

रिवर्स रेपो दर को 4% से घटा कर 3.75% कर दिया गया है। इसके साथ ही देश की वित्तीय व्यवस्था में नकदी की उपलब्धता बढ़ाने वाले कदम भी उठाये गये हैं। बैंक अपनी अतिरिक्त नकदी को जब आरबीआई के पास जमा रखते हैं तो उन्हें रिवर्स रेपो दर की दर से ब्याज मिलता है। वहीं रेपो दर वह ब्याज दर है, जिस पर व्यावसायिक बैंक आरबीआई से बहुत अल्पावधि का ऋण लेते हैं। आरबीआई (RBI) ने इससे पहले 27 मार्च 2020 को रेपो दर (Repo Rate) को 5.15% से 0.75% अंक घटा कर 4.4% कर दिया था। उसी दिन रिवर्स रेपो दर को 0.90% अंक नीचे लाते हुए इसे 4.90% से कम कर 4% पर लाया गया था। इस तरह 27 मार्च और आज की कटौतियों को मिला कर रिवर्स रेपो दर को 1.15% अंक घटाया जा चुका है।
आरबीआई ने आज नाबार्ड को 25,000 करोड़ रुपये दिये जाने की भी घोषणा की है। नाबार्ड (NABARD) इस राशि से ग्रामीण क्षेत्रीय बैंकों, सहकारी बैंकों और माइक्रोफाइनेंस संस्थाओं को वित्त उपलब्ध करायेगा। सिडबी (SIDBI) को 15,000 करोड़ रुपये और एनएचबी को 10,000 करोड़ रुपये दिये जा रहे हैं।
अनुसूचित व्यावसायिक बैंकों और सहकारी बैंकों को 2019-20 में हासिल मुनाफे से आगे कोई नया लाभांश भुगतान करने से भी रोक दिया गया है। यह कदम बैंकों को वित्तीय मजबूती देगा। अनुसूचित व्यावसायिक बैंकों के लिए एलसीआर आवश्यकता को 100% से घटा कर 80% कर दिया गया है।
रियल एस्टेट क्षेत्र को राहत देते हुए व्यावसायिक रियल एस्टेट परियोजनाओं के लिए एनबीएफसी ऋणों पर व्यावसायिक कामकाज आरंभ करने की तिथि एक साल तक आगे बढ़ाने की छूट दे दी गयी है।
आरबीआई (RBI) ने यह भी स्पष्ट किया है कि इससे पहले जिन सावधि ऋणों के लिए तीन महीनों का स्थगन (मोरेटोरियम) दिया गया था, वे अगर यह स्थगन शुरू होने से पहले सामान्य (स्टैंडर्ड) थे तो उन पर 90 दिनों का एनपीए नियम लागू नहीं होगा। आसान शब्दों में, जो ऋण 29 मार्च को एनपीए नहीं थे, अगले तीन महीनों में उनका भुगतान स्थगित रहने पर भी उन्हें तीन महीनों की इस अवधि में एनपीए नहीं गिना जायेगा। साथ ही एनबीएफसी को भी यह अनुमति दी गयी है कि वे अपने ग्राहकों को भी इसी तरह की राहत दे सकते हैं। हालाँकि बैंकों को ऐसे सभी खातों पर अगली दो तिमाहियों तक 10% अतिरिक्त प्रावधान करना होगा। (शेयर मंथन, 17 अप्रैल 2020)

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