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चीन की ओर से संभावित अधिग्रहणों को रोकने के लिए बदली गयी एफडीआई नीति (FDI Policy)

भारतीय शेयर बाजार में चल रहे निचले भावों के चलते कहीं चीन भारतीय कंपनियों को खरीदना न शुरू कर दे, इस आशंका को रोकने के लिए भारत सरकार ने प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की नीति (FDI Policy) में संशोधन कर दिया है।

शनिवार को सरकार ने भारत के साथ सीमा रेखा वाले देशों के किसी भी निकाय (यानी कंपनी, व्यक्ति या किसी भी अन्य रूप में) को स्वचालित मार्ग से भारत में निवेश करने पर रोक लगा दी है।
हालाँकि यह रोक भारत से सटी हुई सीमा वाले सभी देशों के लिए है, लेकिन व्यावहारिक रूप में माना जा रहा है कि चीन (China) को भारतीय शेयर बाजार में आयी गिरावट के बीच बहुत घट गये मूल्यांकन वाली कंपनियों का अधिग्रहण (Acquisition) करने से रोकने के लिए ही सावधानी के रूप में यह कदम उठाया गया है। इस तरह की रोक पहले पाकिस्तान और बांग्लादेश से आने वाले निवेश पर ही थी।
यह भी स्पष्ट किया गया है कि यह रोक उन निकायों पर भी लागू होगी, जिनमें भारत से सटी हुई सीमा वाले देशों के नागरिकों का "लाभकारी स्वामित्व" हो। यह प्रावधान इसलिए रखा गया है ताकि चीन सीधे तौर पर भारतीय कंपनियों का अधिग्रहण करने के बदले कहीं दूसरे देशों, जैसे अमेरिका, यूरोप, हांग कांग, सिंगापुर आदि में अपनी बहुमत हिस्सेदारी वाली कंपनियों के माध्यम से यहाँ भारत में अधिग्रहण का खेल न कर सके।
हालाँकि अभी चीन की ओर से भारतीय कंपनियों के अधिग्रहण की कोई खबर सामने नहीं आयी है, लेकिन कई अन्य देशों में ऐसा देखा गया है। इसी कारण जर्मनी, इटली, स्पेन और ऑस्ट्रेलिया ने अपने यहाँ चीन के निवेश को रोकने वाले नियम बना लिये हैं। (शेयर मंथन, 19 अप्रैल 2020)

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