म्यूचुअल फंड में रिटेल निवेशकों की दिलचस्पी तेजी से बढ़ रही है। यही वजह है कि म्यूचुअल फंड ने 176 NFOs यानी एनएफओ (new fund offerings) के जरिए 1.08 लाख करोड़ रुपए जुटाए हैं। साथ ही इक्विटी मार्केट में तेजी से आई रैली से निवेशकों की दिलचस्पी बढ़ी है।
लिक्विडिटी में दबाव, बढ़ती ब्याज दरें स्टॉक मार्केट में जारी कंसोलिडेशन, वर्क फ्रॉम होम के खत्म होने से लोगों का ध्यान एनएफओ की तरफ बढ़ा है। एफवाईईआरएस के हेड ऑफ रिसर्च के मुताबिक फिक्स्ड मैच्योरिटी प्लान यानी FMP कैटेगरी में ज्यादा प्लान बाजार में नहीं आए। इसके अलावा,लगभग एएमसी ने सभी कैटेगरी में नई योजनाओं को बाजार में उतारा। ऐसा करने से मौजूदा उत्पाद के अंतर में कमी आई है। रिसर्च के मुताबिक नई योजनाओं के बाजार में उतारने से पहले कई बातों पर गौर किया जाता है,जिसमें निवेश उद्देश्य में अंतर, निवेशक के किसी खास थीम में दिलचस्पी, निवेश के लिए उपलब्ध रकम, फंड मैनेजर की विश्वसनीयता और स्टॉक मार्केट का प्रदर्शन शामिल है।
मॉर्निंगस्टार इंडिया की ओर से जुटाए गए आंकड़ों के मुताबिक 2021-22 में 176 न्यू फंड ऑफर किए गए जिसमें क्लोज एंड फंड और ईटीएफ शामिल है। इन योजनाओं के जरिए 1.08 लाख करोड़ रुपए की रकम जुटाई गई है।
आपतो बता दें कि 2020-21 में 84 न्यू फंड ऑफर किए गए थे जिसके जरिए 42,038 करोड़ रुपए की रकम जुटाई गई थी। आमतौर पर न्यू फंड ऑफर तब आते हैं जब बाजार में तेजी और निवेशकों का सेंटिमेंट आशावादी रहता है। ऐसे में ज्यादा से ज्यादा एनएफओ के बाजार में लाने की स्थिति बनती है। एनएफओ निवेशकों के मूड को भांपते हुए निवेश को आकर्षित करने के मकसद से बाजार में उतारा जाता है।
संयोगवश, इसी समय भारतीय कैपिटल मार्केट रेगुलेटर सेबी के अलावा एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड ऑफ इंडिया (AMFI) ने निवेशकों के हितों को ध्यान में रखते हुए कई बदलाव किए हैं। इन बदलावों में एग्जिट लोड रिमूवल, एंट्री लोड कैपिंग के अलावा म्यूचुअल फंड स्कीम के कैटेगराइजेशन और रीऑर्गेनाइजेशन शामिल हैं। इसके अलावा डाइरेक्ट प्लान, रिस्क ओ मीटर, नए कैटेगरी को शामिल करना फ्लेक्सिकैप के अलावा दूसरे बदलाव हैं। इन सबके जरिए निवेशकों को जागरुक करने के साथ निवेश में निष्पक्षता और स्पष्टता को लाना है।
आय में सुधार की जरूरत के अलावा लंबी अवधि के निवेश के साथ सेबी और एएमएफआई की ओर से उठाए गए कदमों का असर रहा कि म्यूचुअल फंड के कई कैटेगरी में बड़ी संख्या में एनएफओ बाजार में उतारे गए जिसमें इक्विटी और डेट शामिल हैं। ज्यादा स्कीम इंडेक्स और ईटीएफ कैटेगरी में उतारे गए। इसका मकसद एक्टिव और पैसिव निवेशकों को मदद पहुंचाना था।
सबसे ज्यादा 49 फंड इंडेक्स फंड सेगमेंट में लाए गए जिसके जरिए करीब 10,629 करोड़ रुपए की रकम जुटाई गई। इसके बाद 34 ईटीएफ स्कीम बाजार में लाए गए जिसके जरिए 7,619 करोड़ रुपए की रकम जुटाई गई। यही नहीं फिक्स्ड टर्म प्लान के 32 स्कीम उतारे गए जिसके जरिए 5,751 करोड़ की रकम जुटाई गई। इसके अलावा निवेशकों का रूझान इंटरनेशनल फंड और सेक्टोरल या थीमैटिक फंड्स शामिल है। एएमसी ने ओवरसीज फंड्स ऑफ फंड्स उतारा जिसके जरिए 5,218 करोड़ रुपए जबकि 11 सेक्टोरल या थीमैटिक फंड्स के जरिए
9,127 करोड़ रुपए की रकम जुटाई गई। विशेषज्ञों का मानना है कि एनएफओ में इंडेक्स फंड और ईटीएफ की बादशाहत आश्चर्यचकित करने वाला नहीं है।
हाल ही में सेबी की ओर से एनएफओ पर लगाए गए प्रतिबंध से 15 स्कीम के बाजार में आने में देरी हो सकती है। मार्केट रेगुलेटर सेबी का फोकस पूल खातों के मामलों को सरल बनाने, एएमसी में टेक्नोलॉजी अपग्रेडेशन के अलाना टू फैक्टर ऑथेंटिकेशन के जरिए धोखाधड़ी पर लगाम लगाना मकसद है। इसके अलावा एक्सिस म्यूचुअल फंड में स्टॉक्स को चलाने के मामले से फंड हाउस के भरोसा और विश्वसनीयता पर सवाल खड़े हुए हैं। अप्रैल में सेबी ने 1 जुलाई तक नए म्यूचुएल फंड स्कीम के बाजार में लाने पर रोक लगा दी है। (शेयर मंथन 24 मई 2022)