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आगामी बजट (Budget) में बढ़ सकता है राजकोषीय घाटा (Fiscal Deficit)

वित्त वर्ष 2019-20 के लिए अंतरिम बजट के बारे में आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज का कयास है कि इसमें लोक-लुभावन नीतियों और राजकोषीय समझदारी के बीच संतुलन रखा जायेगा।

यह अंतरिम बजट 1 फरवरी को पेश किया जाना है। बजट-पूर्व अपेक्षाओं पर जारी अपनी रिपोर्ट में इस ब्रोकिंग फर्म ने कहा है कि बजट घोषणाएँ लोक-लुभावन होने की आशाएँ बढ़ गयी हैं, खास कर किसानों के लिए। वहीं सरकार के राजस्व (खास कर जीएसटी) संग्रह में कमी रहने की आशंका है। इसके चलते यह जोखिम बढ़ कर गया है कि सरकार आम चुनावों से पहले अपने अंतिम बजट (अंतरिम) बजट में राजकोषीय अनुशासन के बदले लोक-लुभावन नीतियों को प्राथमिकता देगी।
आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज का अनुमान है कि जीएसटी संग्रह में कमी, गैर-कर प्राप्तियाँ अनुमानों से कम रहने और बजट में खर्च ऊँचे रहने के चलते वित्त वर्ष 2018-19 में राजकोषीय घाटे (फिस्कल डेफिसिट) का लक्ष्य पहले निर्धारित 3.3% के स्तर से बढ़ा कर 3.5% किया जा सकता है।
हालाँकि सरकार को होने वाली लाभांश आय बजट अनुमान के 107,312 करोड़ रुपये की तुलना में कहीं ऊँचे स्तर पर 137,789 करोड़ रुपये रह सकती है। साथ ही प्रत्यक्ष कर संग्रह में वृद्धि भी 14.4% के बजट अनुमान की तुलना में नवंबर 2018 तक 16.5% की रही है। इसके अलावा सरकार बजट में प्रस्तावित कुछ खर्चों की कटौती कर सकती है। इन सबके चलते उसे राजकोषीय मजबूती के पथ पर चलने और साथ ही विकास दर मजबूत करने वाली नीतियों के बीच संतुलन साधने में मदद मिलेगी।
इसने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि रायतु बंधु योजना की सफलता से संकेत लेते हुए सरकार राष्ट्रीय स्तर पर किसानों के लिए राहत योजना ला सकती है। वहीं दूसरी ओर यह संभावना जतायी गयी है कि सरकार आरबीआई के आरक्षित भंडार (एक्सेस रिजर्व) की ऊपरी सीमा इसके बही-खाते के 20% पर तय करते हुए अतिरिक्त राशि जारी करा सकती है और शत्रु-संपत्तियों की बिक्री का फैसला ले सकती है। इन कदमों से वह 1-3 लाख करोड़ रुपये तक अतिरिक्त राशि जुटा सकती है। (शेयर मंथन, 28 जनवरी 2019)

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