शेयर बाजार समेत तमाम वित्तीय बाजारों में लेन-देन की लागत काफी ऊँची हो जाने की शिकायत अरसे से की जा रही है, लेकिन इस साल बजट में सरकार इस बारे में बाजारों को कुछ राहत दे सकती है।
भाजपा के आर्थिक प्रकोष्ठ के राष्ट्रीय प्रवक्ता गोपाल कृष्ण अग्रवाल ने शेयर मंथन से बातचीत में कहा, "सभी लोग कह रहे थे कि लेन-देन (transactions) की लागत बहुत महत्वपूर्ण है वित्तीय बाजारों के विकास के लिए। समय के साथ लेन-देन की यह लागत भारत में काफी बढ़ गयी है, इसलिए बहुत सारा वित्तीय लेन-देन हांग कांग, सिंगापुर जैसे क्षेत्रों में जा रहा है। सरकार को लेन-देन की लागत को देखना चाहिए, इसमें स्टांप ड्यूटी है, सिक्योरिटीज ट्रांजैक्शन टैक्स (STT) है, और भी कई तरह के शुल्क होते हैं।" अग्रवाल ने कहा, "सरकार ने कैपिटल गेन पर आय कर हटाने के आधार पर कहा था कि हम एसटीटी लेकर आये हैं। अब कैपिटल गेन्स टैक्स भी आ गया है। इस बात पर सामान्य रूप से लोगों को आपत्ति थी।"
लाभांश वितरण कर (Dividend Distribution Tax) के संबंध में भी अग्रवाल ने कहा, "इसे लोग दोहरे नहीं बल्कि कई स्तर के कराधान (टैक्स) की तरह मानते हैं। लाभांश 10 लाख रुपये से ऊपर हो तो पाने वाले के हाथ में भी उस पर फिर से आय कर लागू होता है। कंपनी अपने मुनाफे में से लाभांश देती है, जिस पर वह आय कर का भुगतान कर चुकी है। फिर लाभांश वितरण कर लग जाये, उसके बाद 10 लाख रुपये से ऊपर लाभांश होने पर पाने वाले को भी कर चुकाना पड़ता है। इसलिए लोग दोहरे कराधान का मुद्दा लेकर आये थे।"
इस संबंध में गोपाल कृष्ण अग्रवाल की पूरी टिप्पणी आप इस वीडियो में देख सकते हैं :
(शेयर मंथन, 28 जनवरी 2020)