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रिलायंस (Reliance) के शेयर टूटे

आईएसी (IAC) के आरोप की खबर के बाद से शेयर बाजार में रिलायंस इंडस्ट्रीज (Reliance Industries) के शेयर भाव में गिरावट का रुख है।

बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) में आज के शुरुआती कारोबार में कंपनी का शेयर 789.10 रुपये तक नीचे चला गया। हालाँकि अब इसकी गिरावट में कमी आयी है। बीएसई में सुबह 11:38 बजे कंपनी का शेयर भाव 0.63% की कमजोरी के साथ 800.20 रुपये पर है।
आईएसी के सदस्य अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) ने कल कंपनी पर कई आरोप लगाये। साथ ही उन्होंने कांग्रेस और भाजपा दोनों पर रिलायंस की मदद करने का आरोप लगाया है। केजरीवाल ने आज एक संवाददाता सम्मेलन में सीधे प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के बारे में कहा कि रिलायंस इंडस्ट्रीज के प्रति उनका रुख नरम है। केजरीवाल ने कहा कि रिलांयस के विरुद्ध फैसले करने की वजह से ही जयपाल रेड्डी को पेट्रोलियम मंत्रालय से हटा दिया गया। उन्होंने जिक्र किया कि रिलायंस पर करीब 7000 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाने का फैसला जयपाल रेड्डी के समय ही किया गया।
केजरीवाल का यह भी आरोप है कि रिलायंस केजी बेसिन में क्षमता से कम उत्पादन करके गैस की जमाखोरी कर रही है। उनका कहना है कि रिलायंस की 'मनमानी' से गैस आधारित कई प्लांट बंद पड़े हैं। केजरीवाल ने पूर्व पेट्रोलियम मंत्री मुरली देवड़ा के बारे में कहा कि उन्होंने करीब एक लाख करोड़ रुपये का अनुचित फायदा रिलायंस को पहुँचाया। रिलायंस को फायदा पहुँचाने के लिए केजरीवाल ने एनडीए सरकार पर भी निशाना साधा। जब साल 2000 में रिलायंस को केजी बेसिन का ठेका मिला, तो उस समय एनडीए की ही सरकार थी।
उधर, रिलायंस इंडस्ट्रीज ने इंडिया अगेंस्ट करप्शन की ओर से लगाये गये आरोपों एकदम ही सत्य और तथ्यों से परे बताया है और उन्हें पूरी तरह खारिज किया है।
कंपनी ने कहा है कि केजी-डी6 बेसिन में गहरे समुद्र में तेल-गैस खनन की परियोजना में सबसे अच्छे तकनीकी संसाधनों का इस्तेमाल किया गया है। इसने अपने बयान में कहा है कि तेल-गैस उद्योग ने इन संसाधनों को अपनी श्रेणी में सर्वोत्तम संसाधनों के रूप में माना है। कंपनी का दावा है कि इस परियोजना ने देश के लिए काफी महत्वपूर्ण आर्थिक योगदान दिया है और यह हर लिहाज से ऐसी परियोजना है जिस पर भारत को उचित रूप में गर्व हो सकता है।
रिलायंस ने कहा है कि आईएसी के आरोप गैरजिम्मेदार हैं। कंपनी का कहना है कि इस तरह की प्रकृति वाली परियोजना की जटिलताओं के बारे में बुनियादी समझ के बिना ही निहित स्वार्थों की ओर से ये आरोप लगाये गये हैं, जिनका कोई जवाब देना मुनासिब नहीं है। (शेयर मंथन, 01 नवंबर 2012)

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