महँगाई के मोर्चे पर सरकार की मुश्किलें बढ़ती दिख रही हैं।
जुलाई में थोक महँगाई दर (WPI) उछल कर 3.55% पर पहुँच गयी है, जो पिछले 23 महीने में इसका सबसे ऊँचा स्तर है। जून में थोक महँगाई दर 1.62% रही थी। पिछले साल जुलाई में यह महज 0.85% दर्ज की गयी थी।
इस साल जुलाई में थोक महँगाई दर में बढ़ोतरी का अहम कारण खाद्य महँगाई में बढ़ोतरी रहा है, जो जून के 8.18% के मुकाबले जुलाई में 11.82% रही है।
थोक महँगाई दर का इस तरह 23 महीनों के उच्चतम स्तर पर जाना इस समय इसलिए भी अहम हो गया है क्योंकि पिछले हफ्ते ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साल 2021 तक भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) को खुदरा महँगाई का 4% (2% की कमीबेशी के साथ) का लक्ष्य दिया था। ध्यान रहे कि जुलाई में खुदरा महँगाई दर (CPI) इस लक्ष्य को पार करते हुए 6.07% रही थी।
इससे पहले 9 अगस्त की मौद्रिक नीति की समीक्षा में भारतीय रिजर्व बैंक ने महँगाई के दबाव को ध्यान में रखते हुए नीतिगत ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया था और रेपो दर को 6.5% पर ही बनाये रखा था। (शेयर मंथन, 16 अगस्त 2016)