जगन्नादम तुनुगुंटला
सीनियर वीपी एवं रिसर्च प्रमुख (वेल्थ), सेंट्रम
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) ने निफ्टी 50 के शेयरों में जो बदलाव किये हैं, उनके चलते बीएफएसआई यानी बैंकिंग एवं वित्तीय सेवा उद्योग का वजन बढ़ा है और दवा क्षेत्र की निफ्टी में भागीदारी घटी है।
एनएसई ने 2 अप्रैल 2018 से बजाज फिनसर्व, टाइटन और ग्रासिम को निफ्टी 50 में लाने की घोषणा की है। वहीं इस तारीख से अंबुजा सीमेंट, अरबिंदो फार्मा और बॉश को इससे बाहर कर दिया जायेगा। बजाज फिनसर्व के शामिल होने से निफ्टी में बीएफएसआई शेयरों की संख्या बढ़ कर 11 हो जायेगी। यह निफ्टी में निजी बीएफएसआई शेयरों के बढ़ते प्रभाव को दिखाता है। इसके जुड़ने के साथ निफ्टी में बीएफएसआई शेयरों का भारांक (वेटेज) 33.3% से बढ़ कर 33.7% हो जायेगा।
दूसरी ओर अरबिंदो फार्मा का निफ्टी से हटना दवा क्षेत्र में चल रही गिरावट को दर्शाता है। अब निफ्टी में केवल चार दवा कंपनियाँ रह गयी हैं - सन फार्मा, सिप्ला, डॉ. रेड्डीज और ल्युपिन। इन चारों का निफ्टी 50 में कुल भारांक केवल 3.2% रह गया है।
हमारा मानना है कि भविष्य में निफ्टी में होने वाले बदलावों में जो शेयर निफ्टी में शामिल किये जा सकते हैं, उनमें हिंदुस्तान जिंक, जेएसडब्लू स्टील, ब्रिटानिया इंडस्ट्रीज, गोदरेज कंज्यूमर प्रोडक्ट्स, मदरसन सूमी, पिरामल एंटरप्राइजेज, एमआरएफ, श्रीराम ट्रांसपोर्ट फाइनेंस और श्री सीमेंट हैं। इन शेयरों के शामिल किये जाने की संभावना इनके फ्री फ्लोट बाजार पूँजीकरण (मार्केट कैप) और उद्योग की स्थिति के आधार पर बनती है।
दूसरी ओर जो शेयर निफ्टी 50 से बाहर किये जाने के करीब लग रहे हैं, उनके नाम हैं सिप्ला, एचपीसीएल, भारती इन्फ्राटेल, अदाणी पोर्ट्स, डॉ. रेड्डीज, यूपीएल और ल्युपिन। (Jagannadham Thunuguntla, Senior Vice President and Head of Research (Wealth), Centrum)
(शेयर मंथन, 23 फरवरी 2018)
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