पिछले कुछ वर्षों में शेयर बाजार में नये निवेशकों की संख्या तेजी से बढ़ी है। इसी के साथ उसका गलत लाभ उठाने वाले भी तेजी से बढ़े हैं। हालाँकि बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने 2024 में पूरे साल हजारों वेबसाइटों और सोशल मीडिया मंचों पर प्रभाव रखने वाले कई लोगों (फाइनेंशियल इनफ्लुएंसर्स) के ऊपर कार्रवाई की।
सेबी ने पूरे साल के दौरान 15 हजार से ज्यादा वेबसाइटों को प्रतिबंधित किया। नियामक का कहना है कि उसने आम निवेशकों को अप्रमाणित और भ्रामक जानकारियों से प्रभावित होकर अपना नुकसान करने से बचाने के लिए ये कदम उठाये। सेबी द्वारा जिन वेबसाइटों को प्रतिबंधित किया गया, उन्हें ऑनलाइन प्रभाव रखने वाले ऐसे लोग चला रहे थे, जो नियमन के दायरे में नहीं थे।
एस्क्रो खाते में जमा कराने पड़ेंगे 17 करोड़ रुपये
सेबी का डंडा कई फाइनेंशियल इन्फ्लुएंसर्स पर भी चला। उनमें रवींद्र बालू भारती और नसीरुद्दीन अंसारी जैसे लोकप्रिय नाम शामिल हैं। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर अंसारी ‘बाप ऑफ चार्ट’ नाम से प्रोफाइल थी, जिससे शेयर खरीदने व बेचने के सुझाव दिये जाते थे। सेबी ने अंसारी पर 20 लाख रुपये का जुर्माना लगाया। साथ ही अंसारी और उसके सहयोगियों को एक एस्क्रो खाता खुलवाकर उसमें 17 करोड़ रुपये जमा कराने का निर्देश दिया गया है। इस रकम का इस्तेमाल अंसारी व उसके सहयोगियों के सुझाव के चलते आम निवेशकों को हुए नुकसान की भरपाई करने में किया जायेगा।
अंसारी के कई सहयोगियों पर भी चला डंडा
सेबी ने अंसारी के जिन सहयोगियों के ऊपर कार्रवाई की, उनमें पदमती, तबरेज अब्दुल्ला, वानी, जीएसवीपीएल, मनसा अब्दुल्ला और वामशी शामिल हैं। इन सभी पर 2-2 लाख रुपये का जुर्माना लगा। इनके अलावा सेबी ने शुभांगी रवींद्र भारती, राहुल अनंत गोसावी और धनश्री चंद्रकांत गिरी को बाजार में प्रतिबंधित कर दिया।
ये सभी सोशल मीडिया पर लोकप्रिय थे और अच्छा प्रभाव रखते थे। नियामक ने जाँच में पाया कि ये लोग सोशल मीडिया पर अपने प्रभाव का गलत फायदा उठा रहे थे। इन्होंने खुद को वित्तीय मामलों के विशेषज्ञ के रूप में प्रचारित किया था। इनके प्रोफाइल से खास शेयरों को खरीदने व बेचने के सुझाव दिये जाते थे। कइयों के ऊपर शेयरों का प्रचार करने के बदले कंपनियों से पैसे लेने के भी आरोप लगे थे। इस तरह ये लोग सेबी के विभिन्न नियमों का उल्लंघन कर रहे थे।
शेयरों के सुझाव पर क्या कहते हैं सेबी के नियम?
सेबी के नियम के अनुसार, हर कोई शेयरों की खरीद-बिक्री के सुझाव नहीं दे सकता है। उसके लिए पहले सेबी के पास पंजीकरण कराना अनिवार्य है। पंजीयन भी नियामक की शर्तों को पूरा करने के बाद होता है। साथ ही शेयरों की खरीद-बिक्री के सुझाव के साथ उससे जुड़े जोखिम के बारे में भी बताना जरूरी होता है। सुझाव देने वालों को यह भी सुनिश्चित करना होता है कि उनके सुझाव से हितों का किसी तरह का टकराव नहीं हो रहा है। यानी वे जिन शेयरों के बारे में सुझाव दे रहे हैं, उससे उन्हें व्यक्तिगत तौर पर कोई लाभ नहीं हो रहा है।
कोविड के बाद इतनी तेजी से बढ़े निवेशक
आँकड़ों से स्पष्ट है कि भारत में शेयर बाजार के प्रति लोगों का आकर्षण किस कदर बढ़ा है। कोविड महामारी से पहले मार्च 2020 में डीमैट खातों की संख्या सिर्फ 4.09 करोड़ थी। यह संख्या अगस्त 2022 में 10 करोड़ के पार निकल गयी। यानी कोविड के बाद ढाई साल से कम समय में डीमैट खाते दोगुने से भी ज्यादा हो गये। इस साल अक्टूबर तक डीमैट खातों की संख्या 18 करोड़ के करीब पहुँच चुकी है।
(शेयर मंथन, 01 जनवरी 2025)
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