आपूर्ति की तुलना में तेजी से बढ़ती माँग के कारण कच्चे तेल की कीमतों में साप्ताहिक स्तर पर बढ़ोतरी हुई है, जबकि टीकाकरण से दुनिया भर में कोविड-19 संक्रमणों में फिर से बढ़ोतरी का प्रभाव कम होने की उम्मीद है।
लेकिन कोविड वायरस को लेकर निवेशकों की चिंताओं और अमेरिकी जीडीपी और रोजगार के अनुमान से कमजोर आँकड़ों के कारण पूरे एशिया प्रशांत बाजारों में सतर्क सेंटीमेंट के बीच तेल की कीमतों में थोड़ी गिरावट हुई। पिछले हफ्ते कमजोर अमेरिकी डॉलर और मजबूत अमेरिकी कॉर्पोरेट आय से तेल की कीमतों में तेजी दर्ज की गयी। अमेरिकन हेल्थ ऑर्गनाइजेशन ने कहा कि कोविड -19 दुनिया के सबसे अधिक साप्ताहिक मृत्यु दर वाले देशों में अर्जेंटीना, कोलंबिया, क्यूबा, इक्वाडोर और पराग्वे के साथ अमेरिका पर विनाशकारी प्रभाव जारी है। यहाँ तक कि संयुक्त राज्य अमेरिका में, पूरे एशिया और यूरोप के कुछ हिस्सों में कोरोना वायरस के मामले बढ़ रहे हैं, फिर भी विश्लेषकों ने कहा कि टीकाकरण की बढ़ती दरों से कठोर लॉकडाउन की आवश्यकता कम हो जायेगी, जिसने पिछले साल महामारी के अधिक प्रसार के दौरान माँग को प्रभावित किया था। विश्लेषकों ने इस साल की शुरुआत में भारत के गैसोलीन की खपत और औद्योगिक उत्पादन में तेजी से बढ़ोतरी की ओर इशारा करते हुये कहा कि इस साल की शुरुआत में अर्थव्यवस्थायें महामारी के प्रति अधिक मजबूत हैं। इस सप्ताह में कच्चे तेल की कीमतें अधिक अस्थिरता और तेजी के रुझान के साथ 5,280-5,640 रुपये के दायरे में कारोबार कर सकती हैं।
नेचुरल गैस में खरीदने और रोक कर रखने का खेल नहीं, बल्कि यह अनुमान लगाने का खेल शुरू हो गया है कि कब गर्मी का मौसम समाप्त हो जायेगा ताकि भंडारण में अधिक गैस जमा करने की अनुमति मिल सके। कम से कम अगस्त के मध्य तक मौसम सामान्य से अधिक गर्म रहने की उम्मीद है। इस सप्ताह कीमतें तेजी के रुझान के साथ 285-320 रुपये के दायरे में कारोबार कर सकती हैं। कीमतों में गिरावट होने पर सहारा के निकट खरीदारी का अवसर है। (शेयर मंथन, 02 अगस्त 2021)