कर्नाटक विधान सभा के चुनाव में कांग्रेस की जीत और भाजपा की हार से क्या शेयर बाजार में कोई उठा-पटक होगी? आइए देखते हैं कि बाजार विश्लेषकों का इस बारे में क्या कहना है।
बाजार विश्लेषक सिद्धार्थ रस्तोगी की राय में अगले कुछ दिनों के लिए बाजार में कमजोरी का रुझान बन सकता है, जिसमें निफ्टी-50 (Nifty-50) संभवतः 17,900 तक फिसल सकता है। बाजार दरअसल इस कारण प्रतिक्रिया करेगा, क्योंकि इससे ऐसा विश्वास पैदा होगा कि विकास वाली राजनीति के बदले मुफ्त वाली राजनीति वापस लौट आयी है। वहीं आईसीआईसीआई डायरेक्ट के रिसर्च प्रमुख पंकज पांडेय के मुताबिक ये नतीजे पूर्वानुमानों के अनुरूप ही हैं, इसलिए शेयर बाजार में इसके चलते कोई उठा-पटक नहीं होगी।
बाजार विश्लेषक अंबरीश बालिगा का भी मानना है कि इस चुनावी नतीजे से बाजार में एक तात्कालिक गिरावट आ सकती है, और उसके बाद संभवतः यह वापस पटरी पर लौट आयेगा। वे इसका कारण यह बताते हैं कि इसके बाद अन्य तर्क फिर से प्रभावी होने लगेंगे, जैसे यह कि लोग विधान सभा और लोक सभा के चुनावों में अलग-अलग तरीके से मतदान करते हैं। उनके शब्दों में, 'मुझे नहीं लगता कि शेयर बाजार लंबे समय के लिए इन चुनावी परिणामों के चलते पटरी से उतर जायेगा।'
हालाँकि बहुत-से जानकारों का मानना है कि शायद सोमवार को बाजार कुछ कमजोर खुले, मगर इसे वापस सँभलने में देर नहीं लगेगी। भारत भूषण ऐंड कंपनी के पार्टनर विजय भूषण का अनुमान है कि बाजार कमजोर खुलने के बाद दिन के अंत तक ही सँभल जायेगा। ब्लूओशन कैपिटल के संस्थापक और सीईओ निपुण मेहता भी यही देख रहे हैं कि शुरुआत में नकारात्मक प्रतिक्रिया के बाद बाजार सँभल जायेगा।
जेएम फाइनेंशियल में बिजनेस एफिलिएट ग्रुप के एमडी एवं को-हेड आशु मदान की राय में बाजार की प्रतिक्रिया कुछ ज्यादा नहीं होगी। उनका कहना है कि अगर सोमवार को बाजार किसी तीखी गिरावट के साथ खुलता है, तो वह सौदों (ट्रेडिंग) के लिहाज से खरीदारी का अवसर होगा। वहीं बाजार विश्लेषक शोमेश कुमार का कहना है कि यह परिणाम बाजार के लिए थोड़ा नकारात्मक है। यदि राजस्थान कांग्रेस में कलह नहीं रही होती, तो इस चुनाव परिणाम से लगने वाला झटका ज्यादा बड़ा हो सकता था। शोमेश के मुताबिक यदि निफ्टी 18,200 के नीचे फिसला, तो फिर यह 18,000 तक जा सकता है।
बाजार विश्लेषक विवेक नेगी की राय में राज्यों के चुनाव बाजार की चाल को ज्यादा प्रभावित नहीं करते हैं, लेकिन अगर भाजपा कुछ राज्यों को खो देती है और केंद्र में 2024 में बहुमत में बनी रहती है तो यह अच्छा संकेत है। उनके शब्दों में, 'किसी देश के प्रगतिशील वृद्धि के पथ पर बने रहने के लिए हमेशा एक राजनीतिक संतुलन बना रहना चाहिए। विपक्ष को इतना मजबूत होना चाहिए कि वह महत्वपूर्ण विषयों पर अपनी आवाज उठा सके।'
विलियम ओ'नील के इक्विटी रिसर्च प्रमुख मयूरेश जोशी की नजर में इन नतीजों से शेयर बाजार में एक भावनात्मक प्रतिक्रिया हो सकती है। पर वे रेखांकित करते हैं कि कर्नाटक में भाजपा का मत-प्रतिशत (वोट शेयर) स्थिर बना हुआ है, जबकि उत्तर प्रदेश के स्थानीय निकाय चुनावों से संकेत मिल रहे हैं कि भाजपा ने वहाँ अंतर्निहित रूप से मजबूत गति बनाये रखी है। यील्ड मैक्सिमाइजर्स के संस्थापक योगेश मेहता कहते हैं कि बाजार इस घटना को मुनाफावसूली के एक कारण के तौर पर देख सकता है।
दरअसल बाजार विशेषज्ञों का मोटे तौर पर यह मानना है कि भले ही एग्जिट पोल ने नतीजों की भविष्यवाणी पहले ही कर दी थी, लेकिन इसके बाद भी बाजार में थोड़ी गिरावट आ सकती है, क्योंकि नतीजों से कांग्रेस का उत्साह बढ़ा है। यह बाकी विपक्ष के साथ कांग्रेस की सौदेबाजी की शक्ति को बढ़ाता है। यह विपक्ष को एकजुट होने और भाजपा के खिलाफ जीत हासिल करने का संभावित रास्ता भी दिखाता है।
लोगों की राय में कर्नाटक के नतीजे भाजपा को तीखे ढंग से यह याद दिला रहे हैं कि वह आगामी चुनावी मुकाबलों को आराम से नहीं सकती है। एक तरह से ये चुनाव परिणाम भाजपा को नींद से जगाने का काम कर सकते हैं। (शेयर मंथन, 14 मई 2023)
Add comment